एक समय की बात है रामपुर नामक गाँव में दिनकर का एक छोटा सा परिवार रहता था
उनके दो बेटे थे
दिनकर व उसकी पत्नी में काफी प्रेम भाव था मगर उनके बेटे रोजाना किसी न किसी बात को लेकर लड़ते -झगड़ते रहते थे
वे प्रतिदिन अपने अनबन की शिकायत लेकर अपने पिता जी के पास जाते और उनसे उम्मीद करते कि वे उनकी बातें सुने और दोनों की लड़ाई को सुलझाएं
कुछ समय तक तो दिनकर ने उनकी बातें सुनी और उनकी बातों का हल भी निकाला मगर उनके झगड़े कभी कम नहीं हुए
बेटों के बर्ताव से तंग आकर कुछ समय बाद दिनकर ने उनकी बातें सुनना बंद कर दिया
पिता के इस व्यवहार को देखते हुए उनहोंने अपने झगड़े सुलझाने के लिए अपनी माँ के पास जाने का निर्णय किया
माँ, जो उनके व्यवहार से पहले से ही दुखी थी, उनहोंने अपने बच्चों को सबक सिखाने का फैसला लिया
जब भी उनके बच्चे अपनी परेशानी लेकर आते थे माँ उनकी अपनी एक ही परेशानी हरबार सुनाती
यह कारवां कुछ दिनों तक चला
इससे तंग आकर बेटों ने अपनी माँ से सवाल- जवाब करने का फैसला किया
बड़े बेटे ने अपनी माँ से पुछा कि माँ जब भी हम अपनी परेशानी सुनाने आते हैं तो तुम अपनी वही एक परेशानी हर बार क्यों सुनाने लगती हो
इसके जवाब में माँ ने कहा- जब तुम मेरी एक परेशानी हर रोज नहीं सुन सकते तो तुम एक ही बात को लेकर रोजाना क्यों लड़ते हो
माँ की इस बात को सुनकर बेटो की आखें खुल गई और उनहोंने अपने माँ- पिताजी से क्षमा मांगी
और फिर उनहोंने कभी न लड़ने की प्रतिज्ञा की|
सिख- हमे एक ही बात को लेकर नहीं बैठे रहना चाहिए. यह न सिर्फ हमारा समय नष्ट करता बल्कि हमारे अन्दर की ऊर्जा को भी नष्ट करता है|
Author: Sugandh Kumari | kumari.sugandh1996 at gmail.com