Reading Time: < 1 minute
जिक्र जब जब भी उनका होता है,
कोई चुपके से दिल में रोता है,
वक्त की प्रीत वक्त की बिछुड़न,
इस जहां में यही तो होता है।
दूर मंझधार में हुआ उनसे,
जाने मैं अब तलक जिया कैसे,
वक्त के घाव वक्त की बातें,
वक्त हर जख्म भर भी देता है।
वो जो कल था वही नहीं अब भी,
मैं जो कल था वही नहीं अब भी,
जिंदगी है हजार किश्तों में,
कोई दे-दे के छीन लेता है।
इश्क है अब तो इबादत अपनी,
और तनहाई हिफाजत अपनी,
रात भर जाग-जाग कर फिर से,
नये सपने कोई पिरोता है।