भारतीय नेवी के सेवानिवृत्त अफ़सर कुलदीप जाधव के मसले पर पाक अपनी नापाक पैंतरेबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। पिछली बीस मई को उसने कानून बनाकर इस मामले में पुनर्विचार याचिका हेतु साठ दिनों की समय सीमा निर्धारित कर दी थी। अब पाकिस्तान का दावा है कि जाधव फैसले के खिलाफ अपील ही नहीं करना चाहते हैं। इससे उन्हें बचाने के जद्दोजहद में लगे भारत की चुनौतियां बढ़ गई हैं। गौरतलब है कि इससे पहले पाक इस केस में इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत के हाथों शर्मनाक शिकस्त झेल चुका है।
पाकिस्तान ने वही पैंतरा चला है, जिस पैंतरे से उन्हें बिना फेयर ट्रायल के मौत की सजा सुनाई गई थी यानी दबाव डालकर मनमाफिक बयान। पाकिस्तान का दावा है कि जाधव फैसले के खिलाफ अपील ही नहीं करना चाहते हैं। इससे उन्हें बचाने के जद्दोजहद में लगे भारत की चुनौतियां बढ़ गई हैं। इससे पहले पाक को इस केस में इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत के हाथों शर्मनाक शिकस्त झेलनी पड़ी थी। जहां पिछले साल पाकिस्तान को फांसी की सजा पर रोक लगाने और फैसले के पुनर्विचार का आदेश दिया था।
फिलहाल, भारत ने पाकिस्तान के दावे को खारिज करते हुए जाधव तक बिना शर्त राजनयिक पहुंच की मांग की है।इस बीच पाकिस्तान ने एक और पैंतरेबाजी करते हुए भारत को जाधव तक राजनयिक पहुंच मुहैया कराने की पेशकश कर दी है। लेकिन इससे पहले उसने जिन शर्तों के साथ कॉन्सुलर ऐक्सेस दिया था, उन्हें इस बार भारत कतई स्वीकार नहीं करना चाहता।पाकिस्तान की ‘पेशकश’ पर भारत ने दो टूक कह दिया है, कि अगर पाकिस्तान इस मामले में आइसीजे के फैसले का सही अर्थों में पालन चाहता है तो बिना किसी शर्त के जाधव तक राजनयिक पहुंच मुहैया कराए। उस दौरान बिना रोक-टोक के लिए भारतीय राजनयिकों को जाधव से बात करने दिया जाए, ताकि वह बिना किसी दबाव के खुलकर अपनी बात कह सकें।
इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान से मांग की है, कि जाधव से राजनयिकों की मुलाकात के दौरान उसका कोई भी अधिकारी वहां मौजूद न रहे, कमरे में ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग की कोई भी सुविधा न रहे; ताकि जाधव बिना किसी डर के अपनी बात कह सकें। बताया जा रहा है कि भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वह मुलाकात के समय सिर्फ अंग्रेजी में बातचीत किए जाने पर जोर न दे। इसके अलावा सरकार चाहती है कि पाकिस्तान उसके २ अधिकारियों को जाधव से मिलने की इजाजत दे। हालांकि, पाकिस्तान ने सिर्फ एक अधिकारी को मिलने देने की पेशकश की है और वह जाधव से अकेले में बातचीत की अनुमति देने से लगातार इनकार कर रहा है।
चूंकि रिव्यू पिटिशन के लिए सिर्फ इसी सोमवार तक का समय है, लिहाजा भारत की चुनौतियां काफ़ी बढ़ गई हैं।
वहीं, सरकार का मानना है कि सही अर्थों में राजनयिक पहुंच के अभाव में अगर रिव्यू के लिए जाया जाता है तो यह अब भी पाकिस्तान के हाथों में ही खेलने की तरह ही होगा। भारत अब इस्लामाबाद पर दबाव बना रहा है कि वह राजनयिकों को जाधव से अकेले में मिलने की इजाजत दे। चूंकि डेडलाइन करीब है, इसलिए नई दिल्ली इसके लिए फिर से आईसीजे में जाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है।
सनद रहे, कि इंडियन नेवी के रिटायर्ड अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने अगवा कर उनसे झूठे कबूलनामे करवाए। उन्हीं झूठे कबूलनामों के आधार पर ‘जासूसी और आतंकवाद’ के जुर्म में वहां की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल, २०१७ में जाधव को फांसी की सजा सुनाई। जिसके खिलाफ भारत ने आईसीजे का रुख किया। इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी। पिछले साल आईसीजे ने पाकिस्तान को वियना कन्वेंशन के उल्लंघन का दोषी ठहराते हुए उसे भारत को जाधव तक राजनीतिक पहुंच मुहैया कराने का आदेश दिया था।
पाकिस्तान के दावे के मुताबिक जाधव को मार्च 2016 में बलूचिस्तान प्रांत में उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह जासूसी गतिविधियों को अंजाम देते हुए पकड़े गए थे। भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था जहां वह नेवी से रिटायर होने के बाद किसी कारोबारी काम से गए थे..
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