किसी समय की बात है रामपुर गाँव में दो दोस्त रामू और राजा रहते थें| दोनों की दोस्ती उस गाँव में काफी चर्चित थी| कही भी जाते या कुछ भी करते दोनों साथ में ही करते थे| कुछ समय बाद दोनों ने स्कूल मे दखिला लिया| दोनों साथ में आते- जाते और बहुत खुश रहते थे| जिसमे से रामू पढ़ने में राजा के मुकाबले काफी तेज़ था| वह हमेशा क्लास में अब्बल नंबर से पास होता था| जिससे देख राजा को कभी बुरा तो नही लगता था लेकिन राजा के और स्कूल के दोस्त और उसके घर वाले काफी कुछ सुनाते थे, जिससे राजा को काफी बुरा लगता था|
एक दिन की बात है दोनों स्कूल गये थे उस दिन स्कूल में क्लास टेस्ट था जिसमे कक्ष के सभी बच्चों ने भाग लिया| चुकी राजा को उस विषय की कोई जानकारी नहीं थी तो उसके चेहरे पर उदासी छा गई थी जिससे वर्ग के बाकी विधार्थी उसपे हँस परे|
जिसे देख उसे काफी बुरा लगा तभी उसने सोचा कि मैं अपने दोस्त की तरह मेहनत तो कर सकता हूँ ताकि मुझे भी किसी की मदद न लेनी पड़े| राजा ने घर आकर काफी सोचा और खुद से मेहनत करने का फैसला किया| उसके मन का ये आत्म विश्वास उसे और मजबूत बना दी और उसने दिन रात मेहनत करना शुरू कर दिया| वो ना ही किसी दोस्त की मदद लेता और न ही उनसे कुछ बोलता|
फिर एक दिन की बात है राजा और रामू के स्कूल की वार्षिक परीक्षा शुरू होने वाली थी तभी उसके कक्षा के दोस्तों ने उसका मजाक बनाते हुए बोला इस बार भी तुम फेल करोगे | यह बात उसको बुरा लगी लेकिन उसने मुस्कुरा कर टाल दिया| फिर परीक्षा शुरू हुई सबने अच्छे से परीक्षा दी | अब परिणाम का वक्त आ गया था सभी डरे डरे थे तब भी राजा के चहरे पे ख़ुशी थे |
परीक्षा परिणाम देखकर सभी खुश हुए और सभी राजा का परिणाम देखकर ही चौंक गए| उसके मेहनत का फल नजर आ रहा था | वह वर्ग मे पहला स्थान तो नहीं लाया लेकिन उसके अंक काफी अच्छे थे| सभी दोस्त ने उसे बधाई दी और उससे उसका वजह पूछा तब वो सबको अपनी सफलता का राज बताया| सभी काफी खुश हुए|
सीख- अगर हमारे मन में कुछ करने की चाहत हो तो एक न एक दिन हम सफलता प्राप्त कर लेगें