एक समय की बात है, रामपुर गांव के विद्यालय में गोपाल और श्याम नाम के दो विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे। गोपाल पढ़ाई में बहुत कमजोर और व्यावहारिक रूप से वह काफी घमंडी था।परन्तु उसका परिवार आर्थिक रूप से बहुत अच्छा था। इन सब कारणों से वह सिर्फ अपने तरह अमीर बच्चों से ही दोस्ती करता था।
उसका मानना था कि दोस्ती सिर्फ बराबर वालों से करना चाहिए।उसके इस व्यवहार के उसके बस कुछ गीने- चुने ही मित्र थे। वहीं श्याम बिल्कुल गोपाल के उलटा था, पढ़ाई के मामले में काफी होशियार और व्यावहारिक रूप से सबका मदद करने वाला था। किन्तु उसका परिवार आर्थिक रूप से उतने सक्षम नहीं थे।
वह बिना किसी के आर्थिक स्तर देखते हुए उनसे दोस्ती करता था। इन सब कारणों से गोपाल श्याम को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था और उससे काफी दूरी बनाकर रखता था। एक दिन कि बात है, उनके विधालय में वार्षिक परीक्षा चल रही थी और ऊपर वाले की विडम्बना से दोनों के बैठने की व्यवस्था इस प्रकार से की गई की दोनों को एक साथ बैठना पड़ा। चुकी गोपाल पढ़ाई में बहुत कमजोर था इसलिए उसे कोई भी प्रश्न का उत्तर नहीं आता था।
उसे परीक्षा में पास ना होने का डर सताने लगा। इन सब कारणों वह काफी उदास होकर बैठ गया। उसके बगल में बैठे श्याम से उसकी यह हालत देखी नहीं गई और उसने कहा – दोस्त, मैं तुम्हारी मदद करने को तैयार हूंँ। तुम इस तरह उदास मत हो। तुम प्रश्न पूछो मैं तुम्हें उसका उत्तर बात दूँगा। गोपाल अपने घमंड में आकर सोचा अगर आज मैंने इससे मदद लेली तो ये पूरे विधालय में मेरा मज़ाक उड़ाएगा। ये सब बात सोचते हुए उसने श्याम से मदद लेने को इंकार कर दिया।
उसी दिन की बात है, परीक्षा देने के बाद सभी घर को लौट रहे थे। गोपाल व श्याम दोनों का घर एक ही रास्ते में था। गोपाल अपने दोस्तों के साथ लौट रहा था वहीं श्याम अकेला ही घर की ओर जा रहा था। थोड़ी दूर आगे चलने के बाद रास्ता कुछ सुनसान हो गया था। दूर दूर तक कोई नहीं दिख रहा था कि अचानक से कुछ जंगली कुत्ते गोपाल के रास्ते के बीच में आ गए। जिसे देखकर सभी के पसीने छूूट गए और सब जैसे तैसे छोड़कर गोपाल के दोस्त वहां से नौ दो ग्यारह हो गए।
अपने आप को अकेला देख गोपाल बहुत डर सा गया था। जैसे जैसे जंगली कुत्ते उसकी तरफ बढ़ रहे थे,उसकी दिलों को धड़कन तेज होते जा रही थी। श्याम उसके कुछ दूर ही पीछे था तो उसने जैसे ही ये सारा नज़ारा देखा उसने उसकी मदद करने का फैसला किया।उसने सोचा अगर मैं इनके पास जा नहीं सकता वरना ये मुझे भी काट लेंगे। उसने सोचा मुझे किसी और उपाय करके उन्हें भगाना होगा। श्याम बहादुरी दिखाते हुए पेड़ के पीछे छुप गया और शेर की आवाज़ निकालने लगा।
शेर की आवाज सुनकर सारे जंगली कुत्ते भाग गए। कुत्ते को जाते देख गोपाल के जान में जान आई। उसने एहसास किया कि शेर का आवाज़ कोई और नहीं बल्कि श्याम ही निकाल रहा था। उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था। वो दौड़ कर श्याम से गले लग गया। और कहा – मित्र, आजतक मुझसे बहुत बड़ी भूल होती चली आ रही थी। मैं केवल व्यक्ति के ऊपरी रूप व पहनावे को देखकर उनसे दोस्ती करता था परन्तु आज मुझे समझ आ चुका है कि दोस्ती इन सब से बढ़कर होता है। दोस्त वहीं होते है जो मुसीबत के वक़्त काम आए।
सीख – दोस्ती करते वक़्त हमें किसी का पहनावा, रूप – रंग या अमीरी – गरीबी नहीं देखनी चाहिए। हमें उनकी अंदरूनी खूबी को देखकर ही उनसे दोस्ती करनी चहिए। सच्चा दोस्त वहीं है को हरदम मदद को तैयार रहे और हमारे मुसीबत में काम आए।