Aurvi Pandey – aurvipandeyrkp05 (at) gmail (dot) com
पर्यावरण का हो रहा है नुक्सान
कट रहे है पेड बेज़ुबान
हो रही है गंदी नदियों और सागर
जब लोग फेक रहे है कचरा घर के बहार
सुलझ जाये यह मामला
जब हम समझने लगे हमारी धरती माँ की समस्या
जब धरती माँ ने हमें इतना कुछ दिया
तो हम क्यों कर रहें है उनके साथ यह क्रिया
ख़त्म हो जायेगी यह दुनिया
अगर नहीं सुनी हमने धरती माँ की यह किलकारियाँ
क्यूंकि छा चुका हैं प्रदूषण का गहरा कहर
क्यूंकि फ़ेंक रहे है हम कचरा हर पहर
तो कौन बचायेगा हमारी धरती को ?
और कौन बचायेगा हम सब को ?
हम ही है धरती के भक्षक
और अब हमें ही बनना पड़ेगा इसके रक्षक
तो ाओ ले यह संकल्प की नहीं करेंगे कचरा सागर में
और ना ही होने देंगे कोई प्रदूषण धरती में
Amazing dear♥️♥️ just love how the poem touched me made my day…. Love u lots ♥️