बहुत पुराने समय की बात है| किसी जंगल में एक तालाब था| कई सालों से उस इलाके में बारिश न होने की वजह से तालाब पुरी तरह सुख चुका था| इसी कारण वहाँ कोई भी जलीय जीव नहीं रहता था, न ही कोई पंक्षी और जानवर उसके आस- पास आता जाता था|
तालाब इन सब बातों से काफी दुखी रहता था और भगवान से प्रार्थना करता था कि इस जंगल में वर्षा कर दे ताकि उसके पास की रौनक और पशु- पक्षी, आदि फिर से वापस लौट कर आ जाये| कुछ समय पश्चात् भगवान ने तालाब की विनती सुन ली और जंगल में खुब वर्षा किया, जिससे तालाब पहले की तरह पानी से भर गया| वर्षा खत्म होने के बाद तालाब ने आसपास के सभी जीव- जन्तुओं से तालाब में आश्रय लेने को कहा| अब वहाँ का माहौल पहले की तरह हो चुका था|
आसपास के सारे मछली, मेढ़क और अन्य छोटे जीव तालाब में रहने लगे थे| वहाँ प्रतिदिन जंगल के सारे छोटे- बड़े जानवर अब वही अपनी प्यास बुझाने आते थें| कुछ दिनों तक सबकुछ हँसी- खुशी बीत रहा था कि अचानक पास के जंगल से एक मच्छ तालाब में प्रवेश कर गया| अगले दिन बगुले अपने बच्चे के साथ तालाब में पानी पीने गई कि अचानक से बगुले के बच्चे की नजर मच्छ पर पड़ी|
उसे देखते बच्चे ने अपनी बगुले माँ से पुछा- माँ ये तालाब में अजीब दिखने वाला प्राणी कौन है? माँ ने बच्चे को डाँटते हुए चुप करा दिया और साथ लेकर उड़ गई| धीरे कर वो मच्छ एक दिन में ढे़र सारी मछलियों को खाने लगा, जिससे मछलियों की रानी काफी चिंतित रहती थी और जंगल में मच्छ का खौफ बढ़ने लगा| एक दिन जब शेर राजा वहाँ पानी पीने तालाब किनारे गया तो मछली रानी ने मच्छ के उत्पात का सारा किस्सा सुनाया|
रानी की सारी बातें सुनकर शेर राजा ने यह कहते हुए मदद से इनकार कर दिया कि यह तुम्हारा मामला है, मुझे इससे कोई लेना- देना नहीं| तत्पश्चात मछली रानी ने दुसरे कई जानवरों से मदद माँगी, परन्तु किसी ने भी मदद नहीं किया| धीरे- धीरे कर तालाब के सारे मछलियों और अन्य जीवों को मच्छों ने खा लिया| देखते – देखते उस तालाब पर केवल मच्छों का राज रह गया और वे तालाब किनारे आने वाले सारे जानवरों पर हमला बोल देते और जो उनकी पकड़ में आते, उन्हें वे खा जाते|
जंगल में बढ़ते इस खौफ को देखकर जब शेर राजा ने जानवरों की सभा बुलाई और इस समस्या का हल पुछा तो वहाँ उपस्थित बंदर मामा जो कि तालाब के पास वाले पेड़ पर रहता था, उसने कहाँ- महराज अगर आप उस दिन रानी मछली की मदद करने को तैयार हो जाते तो और हम सब एकजुट होकर उस मच्छ को वहाँ से भगा देते तो आज यह दुखद दिन न देखना पड़ता| तब तालाब में मात्र एक मच्छ थे और आज सैकड़ों| यह कहते हुए उसकी आँखों में आँसू आ गए|बंदर मामा की बात जंगल में उपस्थित सभी जानवरों को समझ आ चुकी थी परन्तु अब बहुत देर हो चुकी थी|
सीख- यदि किसी छोटी सी समस्या को अनदेखा किया जाए तो बाद में चलकर बड़ी समस्या का रूप ले सकती है, इसलिए जब समस्या छोटी हो तभी हमें उसका हल ढुँढ लेना चाहिए|