खरगोश की चालाकी
एक जंगल में एक खरगोश था | उसको उसके साथ खेलने के लिए एक साथी चाहिए था | लेकिन उसे एक बिल्ली मिली हीथी जंगल में खेलने के लिए | खरगोश बिल्ली से खेलने चाहा लेकिन बिल्ली अपने साथी बिल्लियों से खेलना पसंद किया | खरगोश उदास हो गई | ढूंढ़ने पर उसको एक दिन घर के पास एक और छोटा सा हिरण मिला था| वह हिरण से खेलना चाह| हिरण बहुत चालाक था | खरगोश से खेलना पसंद तो करता था लेकिन खरगोश को हिरण की होशियारी पसंद नहीं था | इसलिए उसने हिरण से खेलना बंद कर दिया|
बहुत दिनों के बाद खरगोश को एक और खरगोश मिला | खरगोश बहुत खुश हो गई तो वह उस खरगोश से अच्छी तरह सेखुशी से खेलने लगी | दो उन दोनों ने नहीं देखा कि एक शेर इन दोनोंको देख कर वहा आ रहा था | शेर वहां पहुँच गया | उसने एक खरगोश को अपने मुँह से पकड़कर वहाँ से जा रहा था | और वह खरगोश को पकड़ कर खाना चाहा | तो दूसरा खरगोश वहां से भाग गई | लेकिन देख रही थी कि शेर से खरगोश को कैसे बचाये | किसीभी तरह उसने अपने दोस्तको बचाना चाहा | उसे एक उपाय सूझा| उसने एक लकड़ी से एक पेड़ को इतना जोर से दबाया की बहुत आवाज आए | वह शेर ने एकदम से आवाज से घबरागयी और परेशान हो गई | यह आवाज कहां से आ आ रहा है
यह सोचते वह अपना मुँह खोला अचंबेसे| तभी वहां से खरगोश शेर के दांतों से निकलकर भाग तो इतने में शेर ने पलट कर देखा कि दूसरा खरगोश यह फालतू आवाज कर रही है | तो उसने फिर खरगोश के पीछे भाग कर उसे पकड़ना चाहा| लेकिन वह छोटा खरगोश वहां से चला गया था | दूसरे खरगोश ने अपने दोस्त खरगोश को ऐसा बचाया| तो दोनोंने वहां से निकलकर सुरक्षित अपने घर के पास आ गए | ठीक समय पर उपाय से अपने आप को और दूसरों को भी बचा सकते हैं|
इस कहानी से हमें यह यह पता चलता है की अगर ठीक उपाय हो तो कितने बड़े जानवर से भी अपने आपको बचा सकते हैं |