राजा छत्रपती शिवाजी महाराज, एक अजरामर व्यक्तित्व
|| क्षत्रिय कुलावतंस ||
जीवन परिचय:
नाम: शिवाजी भोंसले
जन्म तिथि: फरवरी 19, 1630
जन्म स्थान: शिवनेरी किला, पुणे जिला, महाराष्ट्र
शासनकाल: 1674–1680
मृत्यु: 3 अप्रैल, 1680
छत्रपति शिवाजी महाराज पश्चिमी भारत में मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। उन्हें अपने समय के सबसे महान योद्धाओं में से एक माना जाता है और आज भी लोककथाओं के रूप में उनके कारनामों की कहानियां सुनाई जाती हैं। छ.शिवाजी बहुत छोटी उम्र से ही जन्मजात नेता बन गए थे। एक कुशल व्यक्ति, जिन्होंने शिवनेरी किलों के आसपास के सह्याद्री पर्वत की खोज की और अपने हाथों की रेखाओं की तरह भलीभांति इस क्षेत्र को जाना। जब वह 15 वर्ष के थे, तब तक उन्होंने मावल क्षेत्र से वफादार सैनिकों (मावळे) का एक समूह बना लिया था। इन सैनिकों का संघठन कार्य आगे बढ़ाते हुए उनमे शौर्यता जगाई, लढाई के गूढ़ सीखे और सिखाए। आगे चलकर उन्हें यह संघटनात्मक कार्य महत्वपूर्ण लड़ाईयों में काम आया, जिन्होंने बाद में उसकी प्रारंभिक विजयों में सहायता की।
शूरवीर राजा और प्रशासन
अपनी वीरता और महान प्रशासनिक कौशल के साथ, छ. शिवाजी ने बीजापुर की गिरती हुई आदिलशाही सल्तनत से एक एन्क्लेव बनाया। यह अंततः मराठा साम्राज्य की उत्पत्ति का कारण बन गया। अपना खुद का शासन स्थापित करने के बाद, छ.शिवाजी ने एक अनुशासित सैन्य और सुस्थापित प्रशासनिक व्यवस्था की मदद से अपने राज्य में एक सक्षम और प्रगतिशील प्रशासन लागू किया। छ.शिवाजी अपनी नाविन्यपूर्ण सैन्य रणनीति के लिए जाने जाते हैं, जो अपने से अधिक शक्तिशाली दुश्मनों को हराने के लिए गति, भूगोल और आश्चर्यकारक जैसे रणनीतिक कारकों का लाभ उठाने वाले गैर-पारंपरिक तरीकों पर केंद्रित थी। उनदिनों जिसे गुरिल्ला (गनिमि) रणनीति के नाम से जाना जाता था। उपलब्ध नैसर्गिक साधन संपदा का उपयोग कर उन्होंने अनेक किल्लो का निर्माण किया, अनेक खुफिया टीले, रास्ते और अड्डे बनाए। जहाँसे उन्होंने इस गनिमी रणनीति को अंजाम दिया।
दो साम्राज्यों के बीच कड़ा संघर्ष
–मुग़ल साम्राज्य से भिड़ंत
मराठा साम्राज्य और मुगल साम्राज्य अपने समय में भारत के दो सबसे शक्तिशाली साम्राज्य थे। दोनों साम्राज्यों की अपनी ताकत और कमजोरियां थीं। मराठा (क्षत्रिय) साम्राज्य की स्थापना सन.1674 में शिवाजी महाराज ने की थी, जो एक कुशल सैन्यबल के नेता थे। मराठों को खासकर उनकी गुरिल्ला युद्ध रणनीति के लिए जाना जाता था, जिससे उन्हें बहुत बड़ी बलशाली सेनाओं को हराने में मदद मिली। शिवाजी के पोते, पेशवा बाजीराव प्रथम के शासन के दौरान मराठा साम्राज्य अपने चरम पर पहुंच गया।
मुगल साम्राज्य की स्थापना सन.1526 में मध्य एशियाई शासक बाबर ने की थी। मुगल अपने सैन्य कौशल और बल, जगविख्यात साम्राज्य बनाने की क्षमता के लिए जाने जाते थे। बादशाह औरंगज़ेब के शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया था। मराठा साम्राज्य और मुगल साम्राज्य के बीच प्रमुख अंतर यह हैं की, किले जो साबित करते हैं कि शिवाजी महाराज पश्चिम भारत के अब तक के सबसे महान शासक थे क्योंकि, शिवाजी महाराज को उनके शासनकाल में लगभग 360 किलों पर नियंत्रण रखने का श्रेय दिया जाता है….जो कि समस्त महाराष्ट्र और मराठा साम्राज्य का गौरव हैं। छ. शिवाजी के कोई भी घरेलू दुश्मन नही थे। अपने शासनकाल में उन्हें मुगलों से हि कड़ा संघर्ष करना पड़ा। इस भिड़ंत के दौरान उन्होंने सर्वकुशलता से अपनी प्रजा और रियासत का संरक्षण किया।
किल्लों कि रियासत और निर्माता
छ. शिवाजी महाराज, पश्चिम भारत के सबसे महान योद्धा राजा, जो अपने उत्कृष्ट सैन्य और गुरिल्ला (चतुर) युद्ध के लिए जाने जाते हैं, जो अक्सर महाराष्ट्र के गौरव के रूप में उद्धृत किया जाता है। रणनीतिक योजना के साथ-साथ उनके सुव्यवस्थित प्रशासन ने उन्हें जीत की राह पर अग्रेसर किया। जैसे ही आप पश्चिमी घाटों और कोंकण तट से गुजरते हैं, आपको अरब सागर के ऊपर तैरते किले और सुंदर किले दिखाई देंगे। इसलिए, वह महाराष्ट्र के तट की रक्षा के लिए भारत की पहली नौसेना बनाने में अग्रणी थे। अपने सामरिक शासन, अनुशासित सैन्य, दयालुता और महिलाओं के लिए उच्च सम्मान के लिए प्रसिद्ध, शिवाजी महाराज को महाराष्ट्र में उनके शासनकाल में लगभग 360 किलों का नियंत्रण रखने के लिए उसका श्रेय दिया जाता है।
आदर्शवत राजकारोबार (संपूर्ण हिंदवी स्वराज)
छत्रपति शिवाजी महाराज बहुत धार्मिक और मराठा साम्राज्य से एकनिष्ठ थे। सन. 1674 में गर्मियों के दौरान, शिवाजी महाराज ने खुद को एक स्वतंत्र संप्रभु के रूप में बड़ी धूमधाम से सिंहासन पर बिठाया था। एक स्वयंभु ‘हिंदवी स्वराज्य’ का निर्माण! संपूर्ण दमित हिंदू बहुसंख्यक उन्हें अपने महान नेता के रूप में मानते थे। उन्होंने आठ मंत्रियों के अष्टप्रधान मंत्रिमंडल के माध्यम से लगभग छह वर्षों तक अपने किलों पर शासन किया। छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्होंने अपने धर्म के रक्षक पर गर्व किया, ने इस परंपरा को यह आदेश देकर तोड़ दिया कि उनके दो रिश्तेदार जिन्हें जबरन इस्लाम धर्म में परिवर्तित किया गया था, उन्हें हिंदू धर्म में वापस ले लिया जाना चाहिए। उनदिनों भले ही ईसाई और मुसलमान दोनों अक्सर अपने मतों को बलपूर्वक जनता पर थोपते रहे, लेकिन उन्होंने दोनों समुदायों के विश्वासों का सम्मान किया और धार्मिक स्थलों की रक्षा की। हिन्दुओं के साथ-साथ अनेक मुसलमान भी उसकी सेवा में थे। उनके राज्याभिषेक के बाद, उनका सबसे उल्लेखनीय अभियान दक्षिण में था। इस अभियान के दौरान, उन्होंने सुल्तानों के साथ गठबंधन किया और मुगलों के पूरे उपमहाद्वीप में अपना शासन फैलाने के कुटील रणनीति का अटकाव कर दिया था।
विजय और राज्याभिषेक
|| छत्रपति शिवाजी महाराज की जय हो ||
अपने सर्वकुशल शासन से पूना और कोंकण से सटे प्रदेशों पर काफी नियंत्रण स्थापित करने के बाद, छ. शिवाजी ने एक राजा की उपाधि अपनाने और दक्षिण में पहली हिंदू संप्रभुता स्थापित करने का फैसला किया, जो अब तक मुसलमानों का प्रभुत्व था। 6 जून, 1674 को रायगढ़ में एक भव्यदिव्य राज्याभिषेक समारोह में उन्हें मराठों के राजा का ताज पहनाया गया। लगभग 50,000 लोगों की एक सभा के सामने पंडित गागा भट्ट द्वारा उनका राज्याभिषेक किया गया था।
|| जय जय महाराष्ट्र माझा, गरजा महाराष्ट्र माझा ||
उन्हें
छत्रपति (सर्वोपरि संप्रभु)
शककर्ता (एक युग के संस्थापक)
क्षत्रिय कुलवंतस (क्षत्रियों के प्रमुख)
और हैंदव धर्मोद्धारक (हिंदू धर्म की पवित्रता को ऊपर उठाने वाले)
जैसी कई उपाधियाँ मिली थी, जो उनका जीवन गौरव है।
यु तो समस्त क्षत्रिय समाज उनका परिवार है। लेकिन जिस परिवार में उनकी परवरिश हुई, और उन्हें पारिवारिक वात्सल्य मिला वह व्यक्ति यह थे।
छत्रपति शिवाजी महाराज का कुल (परिवार)
धर्म: हिंदू धर्म
माता-पिता: शहाजी भोंसले (पिता) और जीजाबाई (मां)
जीवनसाथी: साईबाई, सोयाराबाई, पुतलाबाई, सकवरबाई, लक्ष्मीबाई, काशीबाई
पुत्र(संतान): संभाजी, राजाराम, सखुबाई निंबालकर, रानुबाई जाधव, अंबिकाबाई महादिक, राजकुमारीबाई शिर्के
सत्ता स्थान: रायगढ़ किला, पश्चिमी महाराष्ट्र,(भारत)
उत्तराधिकारी: संभाजी भोंसले
अंत मे, कुशल नेतृत्व के, महान योद्धा, और शासक
शिवाजी महाराज की मृत्यु 3 अप्रैल 1680 को हुई थी, उस समय वह 50 साल के थे। उनकी मत्यु के कारण को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ का कहना है कि, उनकी मृत्यु स्वाभाविक हुई थी, जबकि कई किताबों में लिखा गया है कि, उन्हें साजिश के तहत जहर देकर मारा गया था। वह तारीख थी, 03-Apr-1680.
पूरे भारतवर्ष के इतिहास में कई राजा और महाराजा हो गए। लेकिन छ. शिवाजी महाराज का जीवन आज की पीढ़ी के लिए आदर्श, एक मिसाल है। क्योंकि, उन्होंने न केवल सामान्य मानवजाति का उद्धार किया बल्कि उन्होंने अपने समाज, धर्म में जागृति लाकर आनेवाले युगों के लिए अपने व्यक्तित्व का एक आदर्श छोड़ा है।
उनकी इस वर्ष की जयंती के उपलक्ष्य में हम सभी वंदन कर उन्हें पुष्पांजली अर्पण करते हुए।
|| प्रौढ प्रताप पुरंदर, क्षत्रिय कुलावतंस, सिंहासनाधीश्वर, महाराजाधिराज महाराज
श्रीमंत श्री छत्रपती शिवाजी महाराज की जय!||
|जय भवानी जय शिवराय|
|हर हर महादेव|