एक चूहे को सबक – किड्स स्टोरीज
एक चूहे का पिल्ला बाहरी दुनियाँ देखने रास्तेपर निकलता है। वह कुछ देर इधर-उधर भटकता रहा, और फिर अपनी बिल में जाकर अपनी माता से कहा, मैंने वहां जो मजा देखा वह अद्भुत था।
मैंने जाते हुए मार्ग के किनारे चलते हुए दो पशुओं को देखा; उनमें से एक तो बहुत गन्दा जानवर था, जिसके सिर पर लाल-लाल गुच्छे थे।
जब भी वह जानवर अपनी गर्दन हिलाता, वह अपनी तुरही हिलाता। जब मैं उसे देख रहा था, उसने अपने दोनों हाथ हिलाए और कुछ इतना कठोर आवाज में कहा कि वह आवाज मेरे कान में ही बैठ गयी।
अब सुनो दूसरे जानवर की कहानी। वह जानवर बहुत ही कोमल और शांत दिख रहा था, और उसके शरीर पर रेशम जैसे मुलायम बाल थे। उसे देखकर वह दिल से बहोत अच्छे लग रहे थे और शायद ही कभी किसी को कोई नुकसान पहुंचा पाते हो ऐसा मुझे लगता है।
यह सब सुनकर चूहे की माँ ने उससे समझाते हुए कहा, ‘पागल बच्चेे! ‘आपको अभी अच्छे-बुरे की कोई समझ नहीं है। यदि आप दिखावा करने जा रहे हैं, तो आपको धोखा दिया जाएगा’। आपने जिस जानवर को देखा है और जिस आवाज से तुम इतने डरे हुए हैं, उससे जानिए कि मुर्गा बहुत नींद में है, जिसका किसी समय आपको उसके मांस का एक छोटा सा हिस्सा मिलने की संभावना है; लेकिन याद रखना कि, जिस दूसरे जानवर को तुमने रेशम की तरह कोमल अंगों के साथ देखा था, असल मे वह तो एक शातिर झूठा और एक क्रूर बिल्ली था, और उसे तो चूहे के मांस के अलावा और कुछ पसंद नहीं है, यह याद रखो।’
क्या कहती है यह कहानी?
अर्थ और बोध
दरअसल कहानी का पात्र एक चूहे का बच्चा, जिसे अबतक दुनिया की समझ नही है। वह अपने बिल से बाहर निकलता है और सैर पर चल पड़ता है।
कुछ देर सैर करने के बाद वहाँ उसे एक मुर्गा और एक बिल्ली नजर आते है। कुछ सोचकर वह वापस अपने बिल में लौट आता है। कुतुहल से वह अपनी माँ को यह कहानी सुनाता है। वहाँ की आँखोदेखी बयान करते हुए उस मुर्ग़े को बुरा और बिल्ली को भला समझता है। यह सब सुनकर उसकी माँ उसे समझाती है कि, उसे अभी भले-बुरे की पहचान नही है। अपने अनुभव से उसे यह बात बताती है कि, ‘दुनियाँ में कभी भी दिखावे पर भरोसा नही करना और उनसे बचकर रहना’। यही इस कहानी का बोध।
कहानी से सिख
इस कहानी से यह सिख मिलती है कि, किसी की केवल बाह्य रूप-रंग और सुन्दरता के आधार पर किसी व्यक्ति की अंतर्मन की जाँच करना संभव नहीं होता है। बेहतर यही होगा कि उन्हें अच्छी तरह जाने, पहचाने और निर्णय ले कि करना क्या है।
मराठी भाषेत सारांश
ही कथा काय सांगते?
अर्थ आणि बोध
वास्तविक, कथेतील व्यक्तिरेखा उंदराचे पिल्लू आहे, ज्याला अजून जग कळले नाही. तो त्याच्या बिळतून बाहेर पडतो आणि फिरायला जातो.
थोड़ा वेळ चालल्यानंतर त्याला एक कोंबडा आणि मांजर दिसले. काहीतरी विचार करून तो त्याच्या आईकडे परततो. उत्सुकतेपोटी तो ही गोष्ट त्याच्या आईला सांगतो. वर्णन करताना तो कोंबडी वाईट आणि मांजर चांगले मानतो. हे सर्व ऐकून त्याची आई त्याला समजावते की, त्याला अजूनही चांगलं-वाईट कळत नाही. हे तिला तिच्या स्वतःच्या अनुभवावरून सांगते की, ‘जगातील देखाव्यांवर कधीही विश्वास ठेवू नका आणि त्यांच्यापासून दूर राहा’. हेच या कथेचे सार आहे.
कथेतुन शिक्षा
या कथेतून असे कळते की, केवळ बाह्य रूप आणि दिखाव्या च्या आधारे व्यक्तीच्या अंतरंगाची परीक्षा घेणे शक्य नाही. त्यांना चांगले ओळखणे, त्यांना परखने आणि त्यानंतर काय करायचे ते ठरवणे चांगले होईल.