शेर और भेड़िया
जब एक शेर और एक भेड़िया जंगल से गुजर रहे थे, उन्होंने कुछ भेड़ों की आवाज सुनी। उस आवाज को सुनकर भेड़िये ने बड़े गर्व से शेर से कहा, ” अब आप चलते-चलते थक गए हो तो आप यहां बैठ जाएं। मैं तुम्हारे लिए एक दो भेड़ें मारूंगा”। इस बारे में बोलते हुए, भेड़िया भेड़ों की आवाज की ओर चल पड़ा। कुछ देर चलने पर वह रुक गया, और उसने वहाँ भेड़ों के मालिक और भेड़ों के झुंड के पास कुछ शिकारी कुत्तो को भी देखा। अब भेड़िया भी बहुत परेशान हो गया और कुछ सोचकर वहाँ से लौट गया।
इसके साथ ही भेड़िया निराश होकर शेर के पास लौट आया और उसने शेर से कहा, “साहब, आप तो इस जंगल के राजा हैं और वहां खड़ी भेड़ें बीमार और कमजोर हैं। यह आपकी सेहत के लिए ठीक नही होगा। अगर इतनी भेड़ों में से एक भी अच्छी भेड़ न हो, तो हमारे लिए बेहतर नही होगा। हम दूसरी भेड़ का शिकार करेंगे” शेर ने भी शिकारी कुत्तों की आवाज सुनी थी तो शेर ने भेड़िये की उस चालाक बातोपर ध्यान दिया।
क्या कहती है यह कहानी?
अर्थ और बोध
कहानी का सारांश में अर्थ इस प्रकार है, जंगल के राजा और भेड़िया जंगल से गुजरते हुए कुछ भेड़ों की आवाजें सुनकर वही रुकते है। भेड़िया कुछ भेड़ो मारकर राजा के भोजन की व्यवस्था करने की सोचता है।
मगर भेड़ों की निगरानी करने वाले मालिक और शिकारी कुत्तो को देखकर वह वहाँ से वापस लौट आता है। उन भेड़ो को बीमार व कमजोर बताकर शेर को वहाँ से चलने को कहता है। बोध यह है कि, अपनी कमजोरी को छुपाते हुए कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेना चाहिए।
कहानी से सीख:-
इस कहानी से सबक यह है कि, मनुष्य का स्वभाव ही यह होता है कि वे अपनी बेबसी को छुपाने के लिए कोई न कोई बहाना बना लेते हैं। खुद पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करना भी ठीक नही। अपनी शक्ति और परिस्थितियों नुसार निर्णय लेना चाहिए।