लालच बूरी बला है
एक भिखारी था। वह आए दिन गांव के लोगों से भीख मांगता था। जो मिल जाए खा लिया करता था। अगर कुछ नहीं मिलता था तो पानी पीकर जिंदा रहता था। वह इस जीवन से अब ऊब चुका था। किसी ने उससे कहा, ‘तुम गाँव के बाहर नदी के किनारे इंद्र की पूजा करते रहो। यह आपको खुश कर देगा और आपको अमीर भी बना देगा।’ वह भी बस यही करता है, और उसे इंद्र प्रसन्न होते हैं।
इंद्र उससे कहते हैं, ‘तुम अपनी झोली ले आओ। मैं इसमें पैसा देने जा रहा हूं। जब तुम कहोगे रुक जाओ, मैं रुक जाऊंगा। हालांकि, ध्यान रखें कि अगर तुम्हारी झोली फटी और पैसा नीचे गिर गया तो वह धूल बन जाएगा। भिखारी अपने झोली में जितना हो सके उतने पैसे लेता है और इंद्र को रुकने के लिए कहता है। इतने पैसे से वह खुश था। फिर वह गांव आता है। अच्छे कपड़े लेता है, घर बनाता है।
कोई उससे पूछता है, “तुम इतने अमीर कैसे हो गए?” फिर वह उसे पूरी सच्चाई बताता है। वह आदमी भी पैसे का बहुत लालची था। वह पैसो के लिए शहर से बाहर भी जाता है। वह भी इंद्र को प्रसन्न करते हैं। इंद्र ने उसकी झोली में पैसे फेंकना शुरू कर दिया। वह और मांगता रहता है। अंत में पैसे के लिए रुकना कहना भूल जाते हैं। नतीजतन, पैसे का दबाव उसकी बैग पर पड़ता है और वह टूट जाता है। सारा पैसा नीचे गिर जाता है और उनमें धूल जम जाती है। उसी समय, इंद्र भी गायब हो जाते हैं। उसके पास रोने के सिवा कुछ नहीं बचा।
क्या कहती है यह कहानी?
-अर्थ और बोध
यह कहानी एक भिखारी की है, जो गरीबी और भुखमरी से परेशान रहता था। वह अपने उस जीवन से ऊब चुका था। किसी की राय पर वह भगवान इंद्र को प्रसन्न करता है। इंद्र उसे अपनी झोली में धन लेने को कहता है और जब तुम रुकने को कहोगें तभी मैं रुकूँगा ऐसे कहते है। वह भिकारी बहुत संतुष्ट हुआ और इंद्र को रुकने को कहा।
गांव में एक लोभी आदमी उसका बदला हुआ रहेंन-सहेंन और जिंदगी के बारे में पूछता है। वह भी उसे सब कहानी बताता है। अब वह लालची आदमी भी इंद्रदेव को प्रसन्न कर लेता है, धन के लोभ ने उसे अंधा और बेहोश कर दिया था। वह भगवान इंद्र को भी रुकने के किए कहना भूल जाता है। धन से लदा बैग टूट जाता है और धन गिरकर मिट्टी बन जाता है।
धन की लालसा या हवस से आदमी अंधा बन जाता है। उसे हमे काबू में रखना चाहिए, यह है इस कहानी से बोध!
कहानी से सीख –
यह कहानी यह दर्शाती है कि, किसी भी लालसा को हमे काबू में रखना चाहिए और जीवन मे हमेशा संतुष्ट रहना चाहिए। किसी भी चीज का जरूरत से ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए।