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एकता की ताकत – एक कहानी
एक जंगल में एक तमाल के पेड़ पर चिमनी का घोंसला था। इसमें चिमनी का अंडा था। एक दिन एक हाथी उस तमाल के पेड़ की छाया में बैठने आया। लेकिन उसने चिमनी की उसी शाखा को नीचे खींच लिया, जिसमें उस पेड़ पर अपनी चोंच से बनाया हुआ चिमनी का घोंसला था और उसे नीचे गिरा दिया, तो चिमनी के अंडे फूट गए।
इस घटना से चिमनी जोर-जोर से रोने लगी। उसका एक दोस्त, बढ़ई, पास में ही रहता था। चिमनी के रोने ने उसे उसकी ओर दौड़ा दिया।
बढ़ई पक्षी उसे समझाने लगा, “क्या खोया हुआ अंडा वापस आएगा? फिर से अपनी आँखें पोंछो और नई दुनिया में वापस आ जाओ! ” तब चिमनी जवाब देती है, “यह सब सच है! लेकिन मुझे इस मदमस्त हाथी को मारने का उपाय बताओ। क्योंकि इसने मेरा अंडा तोड़ दिया।”
बढ़ई सोच-समझकर कहता है, ”मेरी एक मक्खी मित्र है जिसका नाम वीनाखा है। आ जाओ उसकी मदद लें! ” बाद में, जब वीनाखा मखी को बढ़ई की पार्टी से सच्चाई का पता चलता है, तो वह कहती है, “मेरा मेघनाद नाम का एक मेंढक दोस्त है। वह आपके बहुत काम आएगा।”
फिर सब मेघनाद जे पास चले जाते हैं। जब वह चिमनी की कहानी सुनता है, तो हाथी को मारने की युक्ति बताता है। ” जब हाथी उस आवाज से बेहोश रहेगा, तब बढ़ई उसकी आंखें छिदवाएगा और उसे अंधा कर देगा। फिर प्यास लगने पर उसे पानी के लिए तरसना पड़ेगा। मैं गड्ढे के पास बैठ जाऊंगा और चिल्लाऊंगा “दारव दारव” हाथी सोचेगा कि पानी है। फिर गड्ढे की तरफ चलेगा तो गड्ढे में गिरेगा तो कौन बचाएगा?”
मेघनाद मेंढक का विचार हर किसी को पसंद आता है, एक दिन इस विचार जो अंजाम में लाया गया। उस हाथी को गड्ढे में गिरा दिया जाता है। उसके बाद, कुछ दिनों के बाद हाथी की भूख-प्यास से मृत्यु हो जाती है।
कहानी से सीख :
आपसी एकता की ताकद! यदि हम एकता से काम करें, तो दुश्मन कितना भी सशक्त और मजबूत क्यों न हो, उसे हराया जा सकता है। यह एकजुटता की ताकद, वैसे ही विचारों में एकता होनी चाहिए और कार्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए भी एकविचार होना चाहिए।