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विरह

जग हे माझे

प्रकाशित तुझ्याकडूनच….

तूच माझा प्राण प्रिय ,,,,,

तूझ्याशिवाय ,,

जोगन मीरा मी तुझी,,,,,

तूझ्याशिवाय विरही राधा मी,,,

तूझ्याशिवाय ,,,

चंद्र नाही मी पाहणार,,,,

तूझ्याशिवाय ,,,

ना ही सकाळ माझी,,,,

तूच माझा प्राण प्रिय ,,,,,

तूझ्याशिवाय ,,,,

जोगन मी प्रिय,

हे हृदय म्हणते,,,,,,

तू इथंच कुठेतरी आहेस,

अगदी प्रत्येक क्षणी,,,माझ्यात विलीन प्रिय,,

हे व्याकुळ नयन म्हणत,

आता भेटाय येशी,,,

तरसे हे नयन रात्रंदिवसी प्रिय,,,

विरह वेदना,,,,

तुझ काय माहित ,,,,

तूच माझा चित चोर प्रिय….

कविता का हिंदी विश्लेषण

  इस कविता की पंक्तियाँ एक प्रेमिका की अपने प्रेमी के प्रति गहरी प्रेमभावना व्यक्त करती है। प्रेमिका को विरह सहा नहीं जाता है।कुछ भावुक उक्तियाँ व्यक्त करते हुए वह अपनी भावनाए प्रकट करती है।

   कविता के अंत में उसकी प्रेमी के प्रति विरह को प्रकट करते हुए प्रेमी के मिलन के लिए बेताब है। उसे बेहद जल्द मिलने के लिए चाहत रखती है। वह एहसास दिलाती है की, यह जीवन रोशन है तुम्हीसे और तुम ही मेरे प्राण प्रिय हो।

Life advice

Love is when it gives you a place in your soul, which you can never see, but will feel.

The lines of this poem express the deep affection of a girlfriend towards her lover. The girlfriend does not tolerate separation. Expressing some emotional statements, she expresses her feelings.

   Desperate for the reunion of the lover, revealing her estrangement towards her lover at the end of the poem. She wishes to meet him very soon. She gives the feeling that this life is illuminated by you and you are my soul.

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