सर्दी का स्कूल
मन नहीं करता इतनी ठंडी में
लेकिन बस्ते का बोझ उठाकर चलते हैं
कंपकंपाते रहते हैं हाथ हमारे
लेकिन फिर भी कदम संभालकर चलते हैं
सूरज दादा इतनी जल्दी क्यू आते
अगर नहीं आते तो हम स्कूल ना जाते
रात भर बिस्तर में रहकर
सर्दी में भी पढ़ने ना जाते
बहाने लाख बनाते हम
लेकिन फिर भी पकड़े जाते हम
सर्दी के मौसम में स्कूल जाकर
एक बड़ी सी सजा भी पाते हम