मेहनत का फल
एक गाँव में तीन छोटे सूअर रहते थे जिन्हें उनकी माँ ने दुनिया में भेजा था। तीन छोटे सूअरों में से प्रत्येक ने रहने के लिए अपना घर बनाने का फैसला किया। सबसे पहले सुअर ने बमुश्किल कोई प्रयास किया और केवल भूसे से अपना घर बनाया। दूसरे सुअर ने थोड़ासा ही प्रयास किया और छोटी-बड़ी लाठी-काठी से घर बनाया। उनमे से तीसरे सुअर ने ईंट और पत्थर से बना घर बनाने के लिए बहुत मेहनत की।
वक्त गुजरता गया और एक दिन, तीन सूअरों पर हमला करने के लिए एक बड़ा भेड़िया आया।
उसने हमला करके पहले दो छोटे सूअरों के घरों को फूंक दिया। वह फुसफुसाया और उड़ा दिया उसने दुसरे का घर जो पुआल और लाठी से बना हुआ था।फिर वह फुसफुसाया बार-बार फुसफुसाया, लेकिन तीसरे वाले छोटे सुअर के घर को वह तोड़ नहीं सका, जो उसके घर में आराम से बैठा हुआ था। जल्द ही, बड़ा भेड़िया थककर बड़ी-बड़ी सांस ले रहा था और वह वहां से भाग गया।
क्या कहती है यह कहानी?
एक गाँव में तिन सूअरों का एक झुण्ड रहता था। अब उन्होंने अपना-अपना घर बनाने का फैसला किया। सबसे पहले वाले ने बहुत कम मेहनत में भूसे में घर बनाया तो दुसरे ने लाठी-पुआल से और सबसे तीसरे ने बड़ी मेहनत से वीटो-पत्थरों से मजबूत घर बनाया।मगर एक दिन उन पर एक खूंखार भेड़िया हमला कर देता है। वह छोटे दो सूअरों का घर उडा देता है। लेकिन वह सबसे छोटे सूअर का घर उड़ा नहीं सकता है। और कुछ देर बाद वह वहां से थककर भाग जाता है।
कहानी से सिख:
अब की मत सोचो, दूर की सोचो और उसे मेहनत का रंग दो। मेहनत हमेशा रंग लाती है। हमेशा बड़ी तस्वीर के बारे में सोचो और बड़ा सोचो। आलसी मत बनो।