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क्या हममें भगवान है, वह  कैसे दिखते हैं?

Meditation Photo by Alexandr Podvalny from Pexels
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क्या हममें भगवान है, वह  कैसे दिखते हैं?

कहानी

नन्हा माधव प्राइमरी स्कूल में पढ़ता था। एक दिन स्कूल में क्लास टीचर ने बच्चों को पोल बेबी की कहानी सुनाई। उन्होंने महसूस किया कि ध्रुव बाला जंगल में भगवान से मिले थे। माधव ने बैनी से पूछा, “क्या तुमने कभी भगवान को देखा है? इसी सोच में माधव के विचार चक्र की शुरुआत हुई। क्या मैं भगवान को देख सकता हूँ? लेकिन भगवान दिखता कैसा है? स्कूल के एक बड़े लड़के ने कहा कि, गाँव के पास एक बड़ा सा पार्क है, हो सकता है वही, तो दूसरे बच्चे से समझ में आता है की, जंगल में बड़े-बड़े पेड़ हैं, बहुत सारे पेड़ हैं। माधव ने मान लिया था कि वहां भगवान जरूर मिलेंगे।

    एक रविवार को वह एक दोस्त के साथ पार्क में टहलने के लिए घर से निकल गया। माँ ने लड्डू का थैला और चाशनी की बोतल दी। माधव चलकर गाँव के बाहर पार्क में पहुँच गया। चलते-चलते थक कर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। भूखे पेट उसने लड्डू खाने के लिए बैग खोला। अचानक सामने वाले पेड़ के नीचे उसे एक बूढ़ा दिखाई दिया। उसे बहुत भूख लग रही है। माधव उसके लिए एक लड्डू लेकर आया। बूढ़े ने लड्डू लिया और माधव की ओर देखा और मुस्कुरा दिया। माधव को वह मुस्कान बहुत खूब लग रही थी।

    वह उस मुस्कान को फिर से देखना चाहता था। वह फिर से बूढ़े के पास लड्डू ले आया। इस बार बूढ़ा और अधिक खूबसूरती से मुस्कुराया। माधव देर तक बुढे को लड्डू और चाशनी दे रहा था। बूढ़े के चेहरे पर मुस्कान और अधिक खिल रही थी। अंधेरा होते ही माधव घर जाने के लिए निकल पड़ा। बूढ़े ने प्यार से उसे अपनी बाहों में ले लिया। माधव बहुत खुश हुआ।

    जैसे ही वह घर पहुँचा, उसकी माँ ने उसकी प्रसन्न मुद्रा को देखा और पूछा, “मुझे लगता है कि सैर बहुत अच्छी थी।” माधव ने उत्तर दिया कि उसने आज भगवान से नाता जोड़ लिया है। वह बहुत अच्छे से मुस्कुरा रहा था। ऐसी मुस्कान मैंने पहले कभी नहीं देखी। पार्क का वह बूढ़ा भी खुशी-खुशी घर चला गया। उसके लड़के ने पूछा, “पिताजी, आज आप इतने खुश कैसे हैं?” तो बूढ़े ने जवाब दिया “मैंने भी आज भगवान को देखा”।

क्या कहती यह कहानी !

-अर्थ और बोध

यह कहानी एक बच्चे की  और एक बूढ़े की है। इस कहानी का पात्र एक बच्चे को भगवान की तलाश है । वह एकदिन बगीचे में एक भूके बूढ़े से मिलता है। वह बूढ़े को बहोत भूख लगी थी। वह बच्चा अपने पास के लड्डू उस बूढ़े को खिलाता है। लड्डू खाने से उस बूढ़े के चेहरे पर राहत की मुस्कान आती है। उस मुस्कान को देखकर वह मुस्कराना माधव को बहोत भाता है। उसे ऐसा महसूस होता है जैसे वह किसी भगवान से मिला है और उसमे भगवान देख रहा है।

कहानी से सिख –

यह कहानी हमें यह दर्शाती है की,

हमारा बर्ताव ही अच्छाईयां और बुराईयों की वजह कई बार हमारी पहचान बन जाते है। हमारे अच्छे गुण व अवगुण से हममें राम बसते या रावण यह तय करते है। इसलिए, हम किसी के प्रति कैसा सलुख और रवैया करते है यह इसपर निर्भर होता है।

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