बिमार शेर और लोमड़ी
एक जगल के राजा, जानवरों का राजा शेर एक बार बहुत बीमार पड़ गया। उसने बहुत सारी दवाएँ लीं, लेकिन उससे कोई परिणाम नहीं हुआ। हर दिन सब जानवर उसके पास मिलने आते थे, लेकिन एक लोमड़ी नहीं आयी थी। क्यों की, वह लोमड़ी कुछ वजह से उसका शत्रु थी। एक भेड़िये ने कुत्सित होकर शेर से कहा, “राजाजी, अबतक लोमड़ी आपसे मिलने आपके दरबार में नहीं आयी है, इसलिए मुझे लगता है कि वह आपके खिलाफ कोई साजिश कर रही होगी।”
वह लोमड़ी शेर के आदेशानुसार दरबार में जैसे ही आती है, शेर उससे कहता है,’ जब मैं इतना बीमार हूँ, तो तुम मेरी खबर लेने बिल्कुल नहीं आयी, इसका क्या कारण है?’ लोमड़ी जवाब देती है, ‘महोदय, मैं आपके लिए एक अच्छे डॉक्टर की तलाश में डॉक्टर को देख रही थी। उसके बाद वह भेडिये की ओर देखते हुए कहती है, राजाजी, कल एक महान चिकित्सक और मैं मिले थे; जब मैंने उससे आपकी यह हालत बतायी, तो उसने कहा कि अगर आपने नई निकाली गयी भेड़िये की गिली खाल के खाने से आपकी बिमारी ठीक हो सकती है, ऐसा कहा; और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।’ यह बात सुनकर भेड़िया हैरान होकर बहोत डर जाता है।
क्या कहती है यह कहानी!
एक बार जंगल का राजा शेर बहोत बिमार हो जाता है। उसकी तबीयत का हाल पूछने, राजा को मिलने जंगल के सभी प्राणी पहुँच जाते है। मगर एक लोमड़ी मिलने नहीं जाती है। यह बात जानकर शेर गुस्सा होकर लोमड़ी को दरबार में हाजिर होने का फर्मान छोड़ता है। शेर राजा उसे इसकी वजह पूछता है, तो लोमड़ी एक डॉक्टर से मिलने का बहाना बनाती है। उसे भेडिए की चालाखी का पता चल जाता है और लोमड़ी भी होशियारी से उसका जवाब दे देती है।
कहानी से सिख:-
कई बार हम दूसरों के बारे में गलत सोचते है, और उसके चंगुल में खुद फंस जाते या उसका शिकार हो जाते है। खुद के बुने कूटनीतियों के जाल में बुरी तरह धस जाते है। जो लोग दूसरे को नष्ट करना चाहते हैं, वे अक्सर खुद को नष्ट कर लेते हैं। इस कहानी से हमें यही सिख मिलती है, सोचे की, हमने किसी के लिए जो बुराई का गड्डा खोदा है, कही हम ही उस गड्डे में कही गिर न जाए।