सही फैसला और सही दिशा

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सही फैसला और सही दिशा

अपने सफ़र से लौटा हुआ एक अच्छीखासी देहयष्टिवाला एक धनी युवक एक स्टेशन पर उतर जाता है। वहां से एक गाँव में जाने के लिए, उसने एक टैक्सीड्राइवर से पूछा कि क्यावह साईं बाबा के मंदिर के लिए जाना चाहता है। टैक्सीचालक ने कहा कि, किराया रु. 200 लगेगा। पहलवान ने कहा, “मैं 150 रुपये में वहां के लिए जाना चाहता हूं। नहीं तो मैं अपना सामान उठाकर लेकर जाऊंगा। और उन्होंने अपने कुश्तीउपकरण के साथ लंबी दूरी तक चलना जारी रखा।

पहलवान बिना किसी से बात किए, लम्बी दुरी तक वैसेही चलता जाता है।

रास्तेमें थोड़ी देर बाद उसने फिर वही टैक्सीड्राइवर देखा। उसने टैक्सी वाले से पूछा, “अब तो मैं आधी से ज्यादा सड़क पार कर चुका हूं।” अब आप कितना किराया चार्जकरेंगे? टैक्सी वाले ने कहा 400 रुपये होंगे। उस पहलवान को यह बात समझ नही आयी और टैक्सी ड्राइवर से कहाँ कि पहले 200 रुपये और अब 400 रुपये क्यों?. टैक्सी वाले ने कहा कि, अब इतना समय हो गया गया है और आप साईं मंदिर के बिल्कुल विपरीत दिशा में चल रहे हैं। पहलवान बिना कुछ कहे चुपचाप टैक्सीमें बैठ गया।

क्याकहती है यह कहानी!

-अर्थऔर बोध

कहानी सही निर्णय, सही दिशा का मुख्यपात्रएक पहलवान है, जो अपने सफ़र से एक स्टेशन पर उतरता है। वहां से साईं मंदिर जाने के लिए एक टैक्सीचालक से बात करता है, लेकिन किराया मंजूर न होने के कारण वह पैदल ही मंदिर के लिए चलने लगता है। करीब आधी दुरी तय करने के बाद उसे फिरसे वही टैक्सीचालक नजर आता है। उसे वह पहलवान आगे के सफ़र के लिए किराया पूछता है तो वह चालक दोगुना किराया मांगता है और उसे समझाता है की वह साईं मंदिर के बिल्कुल विपरीत दिशा में चल रहे थे।

कहानी से सिख:

दोस्तोंजीवन में कई बार हम बिना सोचे समझे निर्णय ले लेते हैं और कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और ईसके अलावा उसे करने में बहुत समय भी बर्बाद करते हैं और वह कार्य भी अधुरा छोड़ देते है। इसीलिए, किसी भी कार्यको करने से पहले एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि, वह कार्यआपके जीवन का एक हिस्साहोगा। याद रखें कि अपनी मेहनत तभी सफल होती है जब दिशा सही हो और दिशा सही न हो, तो आप कितनी भी मेहनत कर लें उसका फल नहीं मिलता है, इसलिए सही दिशा चुनें और मेहनत करें, सफलता आपके हाथ में होगी।

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