मेरा कल
एक शाम बैठा था मैं अकेले गहरी सोच में,
शायद लड़ रहा था खुदसे ही खुद की खोज में!!
देखा तो डूब रहा था सूरज क्षितिज से,
लगा जैसे अलविदा कह रहा हो वो मुझसे !!
मैं भागा -भागा गया वहा और जाके पूछा उससे,
बाकियों की तरह क्या अब तुम भी नाराज हो मुझसे ? !!
मैंने पूछा की तेरे जाने के बाद मेरे नए कल का क्या होगा ?
उसने मुस्करा के कहा “ अगर तुम काबिल हो ,
तो तेरा कल आज से बेहतर होगा “
“खुद पे भरोसा रख तू , और याद रख ये मेरी बात ,
तेरा नया कल नहीं है किसी भी सूरज का मोहताज “
“कल भले गहरा अंधेरा होगा , तू रहो में अकेला होगा,
तुझे खुद का चिराग जलाना होगा,अकेले ही रहो पर चलना होगा “
“कोई सहारा नहीं होगा, लगेगा जैसे ये कैसी सजा है,
माना की राह मुश्किल होगी पर मंजिल पाने में भी तो मज़ा है ”.
“अब जाता हूँ मैं पर समझ ले तू ये एक आखिरी मेरी बात,
हर रात के बाद नए सवेरे से तेरी होनी ही है मुलाकात !!
सुबह जब नींद खुली तो पता चला ये सब एक सपना है,
पर मे भी समझ गया था की यही नया कल अपना hai !!