टिफिन का किस्सा
रायपुर गाँव मे रामु और श्याम नाम के दो दोस्त रहते थे| दोनों दोस्त की दोस्ती काफी गहरी थी| वो दोनों एक ही स्कूल मे पढ़ते थें| और उनका साथ आना- जाना भी था| दोनों साथ मे स्कूल जाते और अपनी हर कुछ एक दूसरे के साथ बाटते थें|
श्याम हर रोज अपना लंच लेकर जाया करता था, लेकिन रामु को हमेसा दूसरे के खाने की आदत लगी थी| इसलिए जब भी लंच का वक़्त होता वो हमेसा दूसरे की टिफिन खा जाता| रामु के इस प्रकार के व्यवहार से बाकी सारे दोस्त अक्सर नाराज रहते थे|
उन्हे उनके ही खाने नही मिलते थे खाने को| एक दिन बाकी सारे दोस्त ने सोचा की कुछ न कुछ उपाए निकालने ही होंगे ताकि हमे भी कुछ खाने को बच जाए| एक दिन रामु क्लास से कुछ काम के लिए बाहर निकला तभी उसके दोस्त श्याम ने अपना लंच उसके बैग में रख दिया|
जब लंच का वक़्त हुआ तो रामु वापस से श्याम के टिफिन का इंतजार कर रहा था, लेकिन उस दिन श्याम ने अपना टिफिन ही नही खाया| लंच का वक़्त समाप्त हो गया| फिर श्याम ने अपना टिफिन रामु के बैग से छुट्टी वक़्त निकाल लिया|अगले दिन भी इसी घटना को दोहराया गया |
रामु ने उस दिन भी टिफिन का इंतजार किया लेकिन टिफिन उसके हाथ नही लगा| घर लौट कर रामु मे सोचा की कल श्याम से पुछेंगें कि वो अपना टिफिन क्यु न लाता| अगले दिन रामु ने अपने दोस्त श्याम से पूछा की तुम आजकल अपना टिफिन क्यु न लाते| श्याम ने हस कर बोला की मै तो हर रोज लेकर आता हुँ लंच अपना | रामु आश्चर्य मे पर गया |
और पूछा की मै तो तुम्हे टिफिन खाते नही देखा | तो श्याम ने हस कर बोला की वो टिफिन तो तुम्हारे पास ही था और तुम उसको बाहर दूसरे के पास ढुंढ रहे थे| रामु आश्चर्य मे पर गया| और दिन से वो दूसरे का खाना बंद कर दिया|
इसलिए हमे खुद से ही अपना काम करना चाहिए| दुसरे के भरोसे किसी भी काम के लिए नही टिके रहना चाहिए|