जादूगर का जादू
रामपुर नाम का एक छोटा सा गाँव था| उस गाँव में अकाल पड़ी थी| लोगों के पास खेत तो थी लेकिन वहाँ के लोग मेहनत नही करना चाहते थें|
इस वजह से वहाँ के लोगों को दो वक़्त की रोटी के लिए बहुत सोचना पड़ता था| एक दिन उस गाँव मे एक जादूगर पहुँचा | उसने वहाँ पहुँचकर गाँव वालों को खूब हँसाया | इसी सब में उसका वक़्त निकल गया और देखते-देखते अंधेरा हो गया|
तो जादूगर ने सोचा की क्यों न आज इसी गाँव मे रुक जाऊ और वो वहाँ रुक गया| उसके पास रात के खाने में कुछ नहीं थी तो उसने उस गाँव वालों से मदद माँगी, लेकिन उस गाँव में कोई खेती नहीं करता था, जो कुछ भी होता वही खा लेते। इसी कारण किसी के घर में एक अन का दाना नहीं बचा था|
सबने इंकार कर दिया फिर जादूगर ने एक बुढी़ औरत के पास गया जो उस गाँव की मुखिया थी| वहाँ पहुँच कर उसने कुछ आनाज माँगी तो बुढ़ी औरत के पास कुछ चावल और दूध बचे थे तो वो उस जादूगर का मदद करने के लिये तैयार हो गयी| जादूगर ने एक हांडी मांगी जिसमें वो खाना पका सके फिर उस औरत ने एक छोटा सा बर्तन लाकर दिया क्योंकि अनाज तो कम थे लेकिन जादूगर ने वो बर्तन के बदले बड़ा बर्तन लाने के लिए कहा|
वो बुढी़ औरत सोचने लगी की चावल और दूध तो कम है फिर बड़ी बर्तन क्यों| लेकिन फिर उसने उस जादूगर को लाकर दिया | जादूगर खाना पकाना शुरू किया कुछ समय पश्चात् वो थोड़ा सा चावल काफी अधिक हो गयी और बड़ा बर्तन पूरी तरह से भर गयी |
बुढी़ औरत को आश्चर्य हो गया जो ऐसा कैसे हो सकता है लेकिन उसने उस जादूगर से कुछ नहीं पूछा| फिर खाना पकते ही उस जादूगर ने सबसे पहले पेट भर कर खाई लेकिन तब भी खाना उस बर्तन से कम नही हुआ| जादूगर ने पूरे गाँव वालों को बुला कर पेट भर खाने को कहा|
सभी गाँव वालों ने खुशी – खुशी खाना खाया और सीख ली कि जिस तरह जादूगर ने अनाज इकट्ठा करने में मेहनत की, अगर उसी तरह हम भी खेती करने में मेहनत करेंगे तो हमें कभी आधा पेट नहीं सोना पड़ेगा और उन्होंने सोचा कि हमें ऐसे हाथ पे हाथ धरे नही बैठे रहना चाहिए | और फिर वहाँ के लोग भी मेहनत करने लगे और सुख चैन की दो रोटी खाने लगे|
इसलिए हमें,
मेहनत से पीछे नही हटना चाहिए| प्रयास करने से कोई भी मुश्किल काम आसान हो जाता है और हमें आधे में संतुष्ट नहीं होना पड़ेगा।