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बच्चे की पर्सनैलिटी या व्यक्तित्व

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बच्चे  की  पर्सनैलिटी या व्यक्तित्व को  लगाएं  चार चांद 

एक मां अपने बच्चे  पर चिल्ला  रही  थी -” कैसा  बच्चा  है तू इतना  बड़ा  हो गया है , फिर भी घर हो या बाहर  अपनी अटपटी हरकतों  से  हमारी  नाक कटवाता रहता है  ।  हमारी  छोड़ खुद की पर्सनैलिटी  का तो कुछ  ख्याल  किया  कर ? “

क्या  बच्चा  पर्सनैलिटी  का  मतलब  जानता है?

यहां  सवाल यह  उठता है कि  क्या  बच्चा अपनी  मां  की इस बात को समझने के  लायक है  या क्या  वह पर्सनैलिटी  के  मतलब  और उसके महत्व  के बारे  में  कुछ  जानता है ?  बिलकुल  भी नहीं  जानता  क्योंकि  पर्सनैलिटी  या व्यक्तित्व  बडों की समझ की बात है । बच्चा तो अपने  आचार -व्यवहार  में  वही  दर्शाता है  जो हम उसे  सिखाते या दिखाते हैं  । आप यह भी कह सकते हैं कि  बच्चे  का व्यक्तित्व  या पर्सनैलिटी  तो  हमारे  द्वारा सिखाई गयी बातों  का आईना  होता है । उसमें  केवल  वही  दिखता  है जो हम उसे  सिखाते  या  दिखाते हैं ।

बच्चे  में  श्रेष्ठ  पर्सनैलिटी/व्यक्तित्व  के  गुण  कैसे  पैदा  किए  जाएं  ?

भले  ही बच्चे  को  पर्सनैलिटी  या व्यक्तित्व का आशय न पता  हो मगर  फिर  भी  उसकी  एक खास पहचान  या पर्सनैलिटी  तो  होती ही है । हम अपने  बच्चे  की पर्सनैलिटी  या व्यक्तित्व  को चार  चांद  लगाने के  लिए  कुछ  निम्न  उपाय कर सकते हैं  –

– बच्चे  को अच्छी  आदतें  सिखाने का काम  शुरू  से ही करें । अच्छी  आदतें  तभी  टिक पाती हैं  जब बुरी आदतों  का साथ  न हो ।अतः  जैसे  ही  बच्चे  में  कोई  बुरी  आदत दिखे उसके  उन्मूलन  का तुरंत  उपाय  करें

– बच्चे  को  भय , ईर्ष्या ,क्रोध  ,लालच और बैर आदि  कुभावों  से  बचा कर रखें क्योंकि यही  वो दोष हैं जोव्यक्तित्व  की विकृति  का गंभीर  कारण  बनते हैं ।

– अपने  ज्ञान  और अनुभव  के  बल पर बच्चे  में  ऐसे  गुण  पैदा  करें कि  वह जीवन  की  हर परिस्थिति  का धैर्य  से सामना  करने के काबिल  बने।

– खान- पान  से लेकर  खेल  -कूद तक में  इस तरह से ट्रेंड  करे कि वह हमेशा  संतोष  व धैर्य  का परिचय  दे

– बच्चे को  मिल- जुलकर रहने व चीज़ें शेयर करने की सीख  दें।

– टी वी ,मोबाइल  ‘ कंप्यूटर  आदि के  उचित  उपयोग  की समझ  दें।

– उन्हें  शिष्टाचार  की वे सब बातें  सिखाएं  जो जीवन  में  आगे  बढ़ने के लिए  जरूरी होती  हैं ।

– उन्हें  प्यार  या स्नेह के साथ  -साथ जिम्मेदारियों  का  एहसास  भी अवश्य  कराते रहें ।


अंततः  यही  कहूंगा कि  की बच्चा  कच्ची मिट्टी  की भांति  होता  है । हम उसको जिस  रूप  में  चाहें  ढाल सकते हैं  और  अच्छा  यही है कि हम उसे  बहुत  ही खूबसूरत  रूप  में  ढालने की कोशिश  करें  ।कृष्ण कुमार दिलजद 

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