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हिरन का बच्चा

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बहुत  साल पहले  की बात  है  जब राजा – महाराजाओं  का राज हुआ  करता था  । जंगल  से थोड़ा  दूर  एक गांव  था । उस गांव  में  एक गरीब  शिकारी  रहा  करता  था  । उस शिकारी की पत्नी  मर चुकी  थी  मगर  उसका एक दस साल  का बेटा  था ।शिकारी  अपना  और अपने  बेटे  का पेट  पालने  के  लिए  जंगल  पर निर्भर  था ।वह  जंगल  से जो शिकार  मारकर लाता था उसी में  दोनों  बाप -बेटे का पेट  पलता था ।


एक बार  की बात  है कि शिकारी  को दो दिनों तक  जंगल  में  कोई  शिकार  नहीं  मिला  । जिस  कारण  शिकारी  और उसका बेटा  भूख से  तिलमिलाने लगे ।तीसरे दिन  शिकारी  जंगल  में  गया तो  उसे  कोई  बड़ा  शिकार  तो न मिला  मगर  एक हिरण का नवजात  शिशु  या बच्चा  मिल  गया ।  बच्चा बड़ा  ही नटखट और प्यारा था  । शिकारी  उसे  जिंदा  पकड़ कर  घर ले आया  ।


घर आया  तो देखा कि  बेटा  भूख  के  कारण  मरा जा रहा था  । शिकारी  ने अपने  बेटे  से कहा कि  थोड़ा  सब्र  कर  ले । आज उसे  शिकार  तो मिला  है पर   बहुत  छोटा है।  फिर भी उन दोनों  को  जिंदा  तो रख ही देगा  । 


यह कहकर  शिकारी  हिरन के बच्चे  को  मारने  की  कोशिश  करने  लगा  । बच्चा  बहुत  छोटा  और नटखट था इसलिए  शिकारी  को उसे  मारने  में  दिक्कत  आ रही थी  । सच में  वह उसे मारना  भी नहीं  चाहता था ।मगर  बेटे को भूखा मरते  वह नहीं  देख  सकता  था और इसीलिए  मारने  पर मजबूर  था ।उसने अपनी  आंखें  बंद  करके  हिरन के बच्चे  की गरदन काटने  की कोशिश की  ,लेकिन  तभी  उसके बेटे  ने आकर  उसे  रोक  लिया  ।


वह बोला  -” पिता  जी ,ईश्वर  किसी  को  भूखा  नहीं  मारता । वह सबको  खाना  देता है  । मैं  नहीं  चाहता  कि मैं हिरन के इस नन्हे  से  बच्चे  को  खाकर जिंदा  रहूं  । आप इसे मत मारिए,  मुझे ईश्वर  पर पूरा भरोसा है कि  वह हम दोनों  को कभी  भूख से  नहीं मरने देगा। ।वह  हमें अवश्य  खाना  दे देगा ।” 


बेटे  की बात  सुनकर  शिकारी  ने राहत की सांस ली और   उसने  बच्चे  को   नहीं  मारा । उस रात  दोनों  पिता -पुत्र  भूखे ही सो गए । बेटे  की  हालत बहुत  खराब  थी मगर  फिर  भी उसने  धैर्य  रखा ।


अगले  दिन  जैसे  ही सुबह हुई  तो  उनके कानों  में  राजा द्वारा  करवाई गई  मुनादी के यह शब्द  पड़े कि  – रानी के पास  एक हिरनी है जिसका बच्चा  कहीं  खो गया  है जो भी उसे ढूंढ कर  लाएगा  उसे  सोने की सौ मोहरें इनाम में  मिलेंगी  ।’


 यह खबर  सुनते  ही  शिकारी और उसका बेटा  दोनों  हिरन के बच्चे को  लेकर  राजमहल  जा पहुंचे । उनके  पास  जो बच्चा  था वह उसी हिरनी का बच्चा  निकला । हिरनी अपने  बच्चे  को पाकर  जितनी  खुश हुई ,उससे  अधिक  खुश उन्हें  आपस में  मिलाकर रानी हुई  ।  शिकारी और उसका  बेटा भी बहुत  खुश  हुए  क्योंकि  राजा की तरफ से उन्हें  सौ सोने की मोहरें मिलीं ।


शिक्षा  – जो जीव-जंतुओं  पर दया करता है  ,ईश्वर  उस पर अवश्य  दया  करता है  ।

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