चीन के विरुद्ध हर तरह की मोर्चेबंदी के क्रम में बंद किये गये करीब पांच दर्जन ‘मोबाइल एप’ का स्थानापन्न विकसित करने के लिये प्रधानमंत्री जी ने देश के युवाओं का आह्वान किया है।
यह समय बतायेगा कि इन उम्मीदों पर देश के युवा किस हद तक खरे उतरते हैं, पर इसमें दो राय नहीं कि आईआईटी और इसरो जैसे संस्थानों से गौरवान्वित, और पूरी दुनिया में अपनी ‘सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी’ का लोहा मनवा चुके भारतीय युवाओं में आशातीत संभावनाएं भरी पड़ी हैं। अतीत में ऐसा भी हुआ है कि हम अपने ही देश की उन विलक्षण प्रतिभाओं को पहचान ही न पाये, जिन्हें बाद में पूरे विश्व ने सराहा। तमाम अभावों के बावजूद देश में ऐसे अनमोल रतन निकलते ही रहे जिन्होंने खुद को सारी दुनिया के सामने साबित किया।
हमारे लगभग साथ ही एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में निकला चीन आज अपने यहाँ मौजूद वृहत् मानव संसाधन और श्रम का कुशलतापूर्वक उपयोग कर पाने से ही विश्व के आर्थिक फ़लक पर छाया हुआ है। भारत क्या, सुपरपॉवर अमेरिका भी आज चीन से अपने विदेशी व्यापार में भुगतान संतुलित करने को तमाम जतन करता दिखता है।
हाल में चीन से सीमा पर तनाव बढ़ने की वज़ह से भारत द्वारा ज़वाबी कार्रवाइयों के बीच उसके उनसठ मोबाइल एप पर रोक लगा दी; और अब मा. मोदी जी ने उस तरह ही देशी एप बनाने के लिये युवाओं को एक चुनौती सी पेश की है। इसे किसी खास प्रसंगवश देर से उठाया गया, लेकिन बहुत ही दुरुस्त कदम के तौर पर देखा जा सकता है। अब आशा है कि अन्य अनेक क्षेत्रों के लिये भी कुछ इसी तरह के घरेलू उपाय खोजे जायेंगे। ताकि देश में उपलब्ध प्रचुर मानव संसाधन और श्रम का कुशलतम उपयोग कर आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम बढ़ाये जा सकें..