बंदर को मिली सज़ा

बंदर  को मिली सज़ा
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जंगल  में  एक   बंदर  रहता था ।उसका  नाम  था -मंटू।  मंटू  में   शरारत करने की  बुरी  आदत थी।अपनी  इसी आदत के  कारण  वह सभी  जानवरों  को  बहुत  परेशान  किया  करता था ।


एक दिन  वह हाथी दादा के  पास  गया  और  बोला  – ” ओ मोटे हाथी , मुझे  अपनी  पीठ पर  बैठा कर केले के  बाग में  लेकर  चल। ” 


हाथी  दादा  ने कहा  -” क्यों  लेकर  चलूँ  ,तुझे केले के  बाग में  ? क्या  मैं  तेरा  नौकर  हूँ  ? ” मंटू  बोला  – ” नौकर  नहीं है, रे तू !  तू तो मेरा  हाथी है , साथी  है और प्यारा -सा  दादा भी है ।  मुझे  पीठ पर बैठा कर बाग में  ले चलो न दादा  ! वहाँ मैं  पके- पके केले  खाऊँगा  और तुझे  भो खिलाऊँगा ।” 


हाथी  ने कहा  – ” वहाँ से  केले   तो मैं  खुद  भी तोड़ कर  खा सकता हूँ , फिर  तू मुझे  क्या  खिलाएगा  ?  “
मंटू  हाथी  को डराते हुए  बोला – ” ना … ना … दादा ,ऐसा  कभी  मत करना । उधर मेरी  बहुत  सारी मधुमक्खी  दोस्त  रहती हैं । उन्होंने  मुझसे  कहा है कि  तू आएगा  तो  केले खाएगा । तेरे   सिवा  कोई  और आएगा  तो मारा जाएगा । हम उसे काट खाएँगी , जिंदा  बिलकुल भी नहीं  छोड़ेंगी ।” 


हाथी  ने मंटू  की बात  को सच मान  लिया और उसे  अपना  दोस्त  जान  लिया । पर यह तो मंटू  की शरारत थी।  वह तो हाथी  को मधुमक्खियों  से कटवाना  चाहता थाऔर  उसे रोते – चिल्लाते देख कर  खूब  हँसना चाहता था।


हाथी  उसकी  बात  मानकर  उसे  अपनी  पीठ  पर  बैठा  कर  बाग में  ले आया । बाग में  आकर  मंटू  ने जी भरकर  केले  खाए । पके-पके केले खूब  खाए। थोड़ी देर  बाद जब हाथी बोला  -“बेटा  मंटू , अकेले- अकेले  सारे केले खा जाएगा क्या,मुझे  कुछ  नहीं  खिलाएगा  ? कुछ  मीठे -मीठे  केले  मुझे  भी खिला  दे ।”


मंटू  ने  तुरंत  शरारत  करने  का मन बना  लिया । उसने  हाथी को तो केले  दिए नहीं  मगर झट से कुछ  केले तोड़े और उनको  मधुमक्खियों के छत्ते पर दे मारा । मधुमक्खियाँ  गुस्से  में  भिनभिनाती  हुई  उठीं  और काटने के लिए  उन दोनों की तरफ़ उड़ीं। उनको अपनी  ओर आते  देख  मंटू  ने हाथी  की पीठ  से नीचे  कूद  कर  वहाँ से  भागने  की  कोशिश की ।


पर हाथी  दादा  उसकी  शरारत  को समझ गए थे  इसलिए  उन्होंने  अविलंब  मंटू  बंदर  को  जमीन  पर  पटक  दिया  और खुद  वहाँ  से  भाग निकले । मंटू  की हालत  ऐसी  हुई  कि वह जमीन से उठकर  भागना  तो दूर  दो कदम चल भी न सका । इतने  में  मधुमक्खियों  ने आकर  उसे घेर लिया । फिर क्या  था इतना  काटा कि सारा मुँह सूज गया । उसे  उसकी  शरारत की सही  सज़ा  मिली ।

शिक्षा: जो दूसरों का बुरा  करता है उसके  साथ भी बुरा  ही होता है ।

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