हिंदी की टीचर ने कक्षा में बच्चों से यह प्रश्न पूछा कि-“बताओ, अक़्ल बड़ी कि भैंस ?
” जैसे ही बच्चों ने प्रश्न सुना सभी मन ही मन उसका उत्तर सोचने लगे। लेकिन गोलू को इस प्रश्न का उत्तर देना बहुत आसान लगा ।इसलिए वह अपना हाथ खड़ा करके बोला -” मैम, मैं बताऊँ क्या ?”
टीचर ने कहा -” चल तू ही बता दे।”
गोलू ने सोच -समझ कर उत्तर दिया-” मैम, भैंस बड़ी होती है, अक़्ल तो बड़ी हो ही नहीं सकती ।” टीचर ने पूछा -” बेटा, अक़्ल क्यों बड़ी नहीं हो सकती ?”गोलू बोला – ” क्योंकि भैंस दूध देती है , अक़्ल कोई दूध थोड़ी न देती है । अगर अक़्ल दूध देकर दिखाए तो उसे बड़ी मान लूँगा ।”
गोलू का उत्तर सुनकर टीचर की बोलती बंद हो गई । उसे लगा गोलू की तरह उसकी अक़्ल भी गोल ही है ।इसलिए उन्होंने इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए किसी और को उठाना चाहा। पर इससे पहले मोटी राधिका खड़ी हो गई और बोली – ” मैम, इस प्रश्न का सही उत्तर तो मैं ही बता सकती हूँ और वो भी सबूत के साथ ।” टीचर ने कहा -“तो देर क्यों करती है ,तू ही बता दे ।”
मोटी राधिका ने कहा -“मैम, अक़्ल और भैंस दोनों ही बड़ी होती हैं ।” टीचर ने मुँह बना कर पूछा -” वो कैसे ?”
मोटी राधिका ने समझाया -” वो ऐसे कि भैंस बड़ी होती है इसलिए दूध देती है और अक्ल भी बड़ी होती है इसी कारण दूध वाला भैया उसके दूध पर कब्ज़ा कर लेता है । फिर उसी दूध में आधा पानी मिलाकर डबल लाभ कमाता है । इससे यह तो पता चल ही जाता है कि अक़्ल और भैंस दोनों ही बड़ी होती हैं ।”उसका जवाब सुनकर सब हँसने लगे। पर टीचर ने अपना माथा पीटा और फिर उनको चुप कराके बोली- ” मूर्ख बच्चो ,मैंने तो ‘ अक़्ल बड़ी कि भैंस ‘ मुहावरे का अर्थ पूछा था तुम सबसे । जिसका अर्थ है – शरीर शक्तिशाली होने से अक़्ल नहीं आती ।’ तुम लोग जाने क्या समझ बैठे ? सब बच्चे एक स्वर में बोले -“यह तो आपको पहले बताना चाहिए था न ,मैम।”