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चूहे की चालाकी

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गाँव  में  एक पुराना  घर था ।उस घर का बहुत  बड़ा  आँगन था।  आँगन  में एक नीम का पेड़  था ।इस पेड़  के  नीचे  गली का  झबरु नाम  का  कुत्ता  रोज़ आराम करने के लिए आकर लेट जाता था। नीम  के पेड़  से कुछ  दूरी  पर एक  बिल  में  चूहा रहता था । चूहा  खुद  को उस घर का मालिक  समझ बैठा था और दिन भर इधर-उधर  उछल – कूद मचाता  फिरता  था । झबरु के   आसपास  आकर  भी खूब  धमाल  मचाया  करता था । ऐसी निडरता   दिखाता मानो उसमें  झबरु को पछाड़ने  की  ताक़त हो। झबरु  के मन  ने तो  कई बार उस नटखट  को सबक सिखाने की  सोची भी  मगर नींद व आलस ने रोक लिया ।


पड़ोस की  कबरी बिल्ली  को  आँगन  में  चूहे की  मनमानी  बिलकुल  भी पसंद  न थी। कई महीने  से उसकी  गरदन  पकड़ कर  दबोचने  की  ताक में  थी ।बहुत  बार  आमना-सामना भी  हुआ  पर चूहा बच निकला। ऐसा  कोई  दिन  नहीं  जाता  था  जब उन दोनों  के  बीच पकड़म- पकड़ाई का खेल  न होता हो। पर चूहा  बच निकलता  और भाग कर बिल में  घुस  जाता  और बिल से मुँह  बाहर  निकाल  कर  बिल्ली को  खूब  चिढ़ाता – ” बिल्ली  मौसी आओ न …आकर  मुझको  खाओ न …खाओ न!”

 बिल्ली को उस पर बहुत गुस्सा आता और वह कहती- “मूर्ख  चूहे  , देखूँ  तू कब तक  खैर  मनाएगा…मनाएगा  ,तुझे नानी  याद  दिला  दूँगी ,तू जिस दिन  फंस जाएगा …फंस  जाएगा ।” 


बिल्ली  से बार-बार  बच निकलने  के  कारण  चूहे  में  थोड़ी  अकड़ जरूर  पैदा हो गई थी  मगर  उसने  सावधानी से  काम  लेना  बिलकुल  भी  नहीं  छोड़ा  था ।वह हमेशा  सावधान रहता था ।जब भी  बिल से बाहर  जाना होता  था पहले  आसपास के  माहौल  को  ठीक  से जाँचता – परखता था और  फिर  आगे बढ़ता था। बिल्ली  के मनसूबे   को नाकाम  करने की बात को उसने  ठान- सा  लिया था।

 मगर  बिल्ली  ने भी एक चाल चली ।कई दिनों  तक  उसने  आँगन  की  तरफ  देखा  तक नही ।चूहे  को लगा  कि  वह कहीं  चली गई  ,शायद अब नहीं  आएगी ।इसीलिए  उसने  लापरवाही  बरतनी  शुरू  कर  दी। पर एक दिन अचानक बिल्ली  ने उसे आ दबोचा। वह भय से थरथर कांपते  लगा ।उसने  सोचा  कि  मरना  तो है ही पर फिर  भी बचने की क्यों  न  एक आखिरी  कोशिश  ही करके देख  लूँ । उसने  हिम्मत करके  बिल्ली  से कहा- ” बिल्ली मौसी! तुम  मुझे  शौक  से  मार  कर खा लो पर मेरी  एक अंतिम  इच्छा  पूरी  कर दोगी तो तुम्हारा  बड़ा  एहसान  मानूँगा ?”


बिल्ली  थोड़ा  घमंडी  होकर बोली-“ठीक है, देर मत कर जल्दी से  अपनी  आखिरी  इच्छा  बता ?”  “बिल्ली  मौसी, आठ – दस बार  पूरे  जोर से ‘ म्याऊँ-म्याऊँ ‘ …म्याऊँ-म्याऊँ…कर दो। तुम  ऐसा  कर दोगी तो मैं  डर जाऊँगा और मुझे  डर कर मरने  में बड़ा  मज़ा  आएगा ।”मूर्ख  बिल्ली  चूहे  की  बातें  सुनकर और घमंड में  आ गयी और खूब  जोर  – जोर  से  ‘ म्याऊँ- म्याऊँ ‘ का  शोर  करने  लगी।


उसके  शोर  से  झबरु  कुत्ते  की नींद  खराब  हो गई।  उसे  बिल्ली  पर बहुत गुस्सा आया और  वह तुरंत  भौंकते हुए  उसकी  तरफ  दौड़ा ।झबरु  कुत्ते  को  अपनी  ओर  आते देख  बिल्ली  के होश उड़ गए और वह चूहे  को छोड़  अपनी  जान  बचाने के लिए  भाग ली । मौका मिलते ही  चूहा  दौड़ कर  अपने  बिल में  जा घुसा । इस तरह  उसने अपनी  हिम्मत  और चतुराई से  अपनी  जान  बचा ली।

शिक्षा : विपत्ति  आने पर हिम्मत और चतुराई   से काम लेने  पर ही बचा जा सकता है ।

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