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बुरा मत बोलो

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एक समय की बात है, रामू और श्यामू नाम के दो दोस्त थे। दोनों पढ़ाई में जीरो और शैतानी में हीरो थे। एक दिन की बात है, स्कूल के अध्यापक पूरी कक्षा को कुछ गृह कार्य दिए थे। दोनों बच्चे स्कूल साथ जाते थे।तो रास्ते में रामू ने श्यामू से पूछा – मित्र, कल जो हमें हमारे अध्यापक ने गृह – कार्य करने को दिया था।क्या तुमने उसे किया है? श्यामू ने कहा  – नहीं, मित्र मैंने भी अपना गृहकार्य नहीं किया है।

आज तो हम दोनों की शामत आयी है। पूरे कक्षा के सामने फिर से हमें मुर्गा बनना पड़ेगा। इस बात पर रामू ने कहा – कितना अच्छा हो अगर आज हमारे अध्यापक कि किसी कारण तबियत खराब हो जाए ,और वो विधालय ही न आए और हम दोनों बच जाए।  श्यामू ने कहा – नहीं,मित्र ऐसा नहीं बोलना चाहिए। वरना मेरी माँ कहती है कि किसी के बारे में बुरा बोलो तो वो सच हो जाता है।

इस बात पर रामू ने हंसते हुए कहा – मित्र ऐसा थोड़े ना होता है। अब हम रास्ते पर चल रहे हैं , और अचानक से मुझे फुटबॉल आकर थोड़े ना लग सकती है। इतना बोलते ही रोड किनारे मैदान में कुछ बच्चे फुटबॉल खेल रहे थे कि उनकी बॉल सीधे आकर रामू के सिर से टकरा गई। कुछ देर तक तो रामू को कुछ समझ नहीं आया।फिर होश संभालते हुए दोनों विद्यालय गए। कक्षा का वक़्त हो गया था ,सभी बच्चे अध्यापक कि राह देख रहे थे कि विद्यालय का चपरासी कक्षा में आकर बोला कि – आज तुम्हारे अध्यापक की तबियत ठीक नहीं है।

इसी कारण आज वो आपके कक्षा में उपस्थति नहीं हो पाएंगे। आप सभी जाकर मैदान में खेलो। रामू और श्यामू इस बात से बहुत ही खुश हुए। उन्होंने एक दूसरे से कहा – दोस्त आज हम दोनों की जान बच गई। कुछ समय बाद सारे बच्चे खेल के मैदान में चले गए और खेलने लगे। खेल खेल में रामू ने श्यामू से कहा – मेरी आज बोली हर बात तो सच हो रही है और उसने कक्षा के एक बच्चे के तरफ इशारा करते हुए कहा कि – ये हमें बहुत ही तंग करता है, कुछ ऐसा हो कि ये खेल के मैदान में गिर जाए।

रामू के बोलते देरी ना हुई कि वो विद्यार्थी जो की मैदान में दौड़ कर खेल रहा था।अचानक औंधे मुंह गिर गया। रामू ऐसे करके कुछ और बच्चों के बारे में बुरा बोलकर उनसे भी पुराना बदला ले लिया। दोनों मित्र इस समय बहुत खुश थे कि रामू ने कहा – आज मैं जो चाह रहा हूं वहीं हो रहा है।कहीं मैं खुशी के कारण पागल ना हो जाऊ। इतना बोलने की देरी थी कि अचानक से रामू पागलों जैसी हरकतें करने लगा।बेवजह हसना और दूसरों की नकल करना आदि हरकतें उनमें से प्रमुख थी।

अपने मित्र को ऐसा करते देख शयमू बहुत परेशान हो गया।उसे ठीक करने को उसने कई सारे नुस्खे अपनाए मगर वो बिल्कुल भी ठीक नहीं हुआ। श्यामू की फ़िक्र और भी अधिक बढ़ गई। उसने सोचा क्यों ना किसी समझदार व्यक्ति से मदद मांगी जाए। तो उसने अपने ऊपर बीती सारी बातें अपने अध्यापक को बताई । अध्यापक ने कहा – ठीक है मैं तुम्हारी मदद कर देता हूं और उसने रामू के कान में कुछ बुदबुदाए और ऐसा करते ही रामू पहले की तरह ठीक हो गया। अध्यापक ने रामू को समझते हुए कहा – हमें कभी भी किसी के बारे में जाने या अनजाने बुरा नहीं बोलना चाहिए । वरना दूसरे के बारे में बुरा बोलने से हमारे साथ भी बुरा हो सकता है। रामू की अक्ल ठिकाने आ चुकी थी।

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