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कोरोना वारियर

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कोरोना वारियर कहानी है एक ऐसी बच्ची की जिसने 7 साल की उम्र में ही सबका दिल जीत लिया था। अपनी मधुर और प्यारी बातों के कारण सोसाइटी में सभी उसे बहुत प्यार करते थे । माँ बाप ने उसका नाम सारा रखा था, पर प्यार से सब उसे एंजेल बुलाते था। वह ना सिर्फ इस खतरनाक बीमारी से बहादुरी से लड़ी बल्कि औरों के लिए भी एक मिसाल बन गई।

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उसकी भोली बातें सबका मन जीत लेती थी। एंजेल के माता पिता भारतीय थे और स्पेन मे सर्विस करते थे। एंजेल की मां दिल की बड़ी अच्छी थी लेकिन स्वभाव से थोड़ी तेज थी । जब एंजेल 4 साल की थी तब ही उसके  मम्मी पापा में कुछ बातों को लेकर झगड़ा होने लगा और दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगी। अंत में इस रोज-रोज की कहासुनी से तंग आकर दोनों ने अलग अलग रहने का निश्चय किया।

सारा के पापा डॉक्टर थे इसलिए वह हॉस्पिटल के ही फ्लैट मे रहने लगे ।

फरवरी-माह के शुरू होते ही स्पेन में कोरोना नामक महामारी फैल गई । पूरे देश में अफरा तफरी मच गई। एक ही दिन में हजारों लोग इस बीमारी की चपेट में आने लगे। स्पेन की सरकार ने तुरंत ही आवश्यक कदम उठाए और पूरे मेड्रिड शहर को लॉक डाउन कर दिया । सारे स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए।

एक रोज सारा के स्कूल प्रिंसिपल ने भी एलान किया की उनका स्कूल भी बंद कर दिया जाएगा । उस दिन सारा की स्कूल बस जब सोसाइटी में आई तो बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। सब बच्चे खुश थे कि उनके स्कूल बंद हो गए, उन्हें बीमारी की गंभीरता का कोई एहसास नहीं था। महिलाऐ जो बच्चों को लेने आई थी पूछने लगी “अब क्या करोगे तुम लोग।”

बच्चों ने उत्साह के साथ कहा “आंटी हम लोग खूब मजे करेंगे । पूरे दिन खेलेंगे | बस अंकल से कहकर क्लब बंद नहीं होने दीजिएगा।“

आंटी ने स्थिति की गंभीरता को बताते हुए कहा “बच्चों तुम लोगों का स्कूल खेलकूद के लिए बंद नहीं हुआ है,पूरे देश में एक गंभीर बीमारी फैल गई है जिसकी किसी डॉक्टर के पास में कोई दवा नहीं है। इसलिए क्लब तो क्या पूरी सोसाइटी लॉक कर दी जाएगी, कोई बाहर नहीं निकल पाएगा। तुम्हारे पापा तो डॉक्टर हैं सारा, वह तुम्हें विस्तार से इसके विषय में बताएंगे। अब तो हम लोग पास रहते हुए भी एक दूसरे से बहुत दूर से ही मिल पाएंगे । तुम बच्चे लोग आपस में खेल भी नहीं पाओगे, बाकी तुम्हें तुम्हारी ममा बताएगी। हम तो अब अपनी प्यारी एंजेल से बात भी नहीं कर पाएंगे | बस दूर से देखा करेंगे।”

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मासूम सारा के मन में अनेकों प्रश्न उठने लगे। वो ठीक से समझ ही नहीं पा रही थी कि आखिर हुआ क्या है। घर जाकर उसने अपनी ममा से पूछा- “ममा कोरोना क्या है?”

“मेरी प्यारी  सारा। कोरोना एक ऐसी बीमारी है जिसकी अभी तक कोई दवाई नहीं है।”

सारा ने भोलेपन से कहा-  “मम्मा पापा तो डॉक्टर हैं । उनके पास तो जरूर कोई दवा होगी।”

मां ने समझाते हुए कहा-  “नहीं बेटा अभी उनके पास तो क्या किसी के पास कोई दवा नहीं है ।इसलिए मेरी प्यारी बच्ची तुम अपने फ्लैट से बाहर नहीं जाओगी किसी चीज को हाथ नहीं लगाओगी ।”

“ठीक है मम्मा लेकिन जब मेरा मन नहीं लगेगा तो क्या मैं अपनी फ्रेंड्स के साथ खेल भी नहीं सकती” सारा ने सवाल किया।

“कुछ दिनों तो बिल्कुल नहीं बेटा । जल्दी सब ठीक हो जाएगा फिर पहले की तरह खूब खेलना ,स्कूल जाना, क्लब जाना ,पार्क जाना, जो चाहे करना। अभी तो केवल तुम अपनी फ्रेंड्स से मोबाइल पर या बालकनी में खड़ी होकर बात कर सकती हो। समझ रही हो ना बेटा” मा ने समझाते हुए बताया।

सारा बालकनी में खड़े होकर ही अपनी फ्रेंड्स, आंटी और अंकल के साथ बात करती थी। कभी-कभी मोबाइल पर अपनी फ्रेंड से वीडियो कॉल करती।

कोरोना अपना असर दिखाने लगा था । पूरे शहर में चारों ओर कोरोना के मरीज मिल रहे थे और सरकार की विवशता यह थी कि वह मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती करने के अलावा कुछ विशेष कर भी नहीं सकती थी। बस मरीज को क्वॉरेंटाइन कर दिया जाता था और टेंपरेचर या दर्द को ठीक करने के लिए कुछ दवाई दी जाती थी।

सारा की सोसाइटी में भी कुछ लोगों को कोरोना हो गया था जिन्हें हॉस्पीटल मे भर्ती किया गया था।

फिर एक दिन सोसायटी के 5 लोगों के मरने की खबर आई। लेकिन सारा के लिए सबसे दुखद मौत जेम्स की थी जो उसकी ही कक्षा में पढ़ता था।

सारा बहुत दुखी हुई, उसकी मां अलका ने उसे समझाते हुए कहा “बेटे दुनिया में एक ना एक दिन सभी को भगवान अपने पास बुला लेता है, किसी को जल्दी तो किसी को देर से। तुम्हारे नाना नानी ,दादा दादी कहां है इस दुनिया में, सब को भगवान ने अपने पास बुला लिया, इसीलिए तुमसे कहती हूं बेटा किसी चीज को हाथ मत लगाना और मन में पूरा विश्वास रखना, पहले जैसे हसंती खेलती रहो भगवान जल्दी ही सब ठीक कर देगा।” अलका ने सारा को अपनी गोद में बैठा लिया।

सारा ने सवाल किया- “मम्मा जो मर जाते हैं भगवान उन्हें रखते कहां है।”

“बेटा वह सब तारा बन जाते है | देखो इन्हीं तारों में कहीं तुम्हारे नाना-नानी दादा-दादी भी छुपे हुए हैं और वो हमको वहां से देख रहे हैं और आशीर्वाद दे रहे है।”

सारा ने उस दिन अपने पापा के साथ भी वीडियो कॉलिंग की। सारा के पापा राजेश ने भी उसको कोरोना के बारे में बहुत कुछ समझाया और ढेर सारा प्यार किया।

एक दिन अलका जब वर्क फ्रॉम होम कर रही थी तो उसे सारा के खाँसने की आवाज आई, अलका दौड़कर सारा के कमरे में गई जहां वह खेल रही थी- “क्या हुआ बेटा कैसे खांसी आ रही है” अलका ने घबराते हुए पूछा।

सारा के चेहरे पर थोड़ी सी थकान दिखाई दे रही थी । अलका ने सारा के माथे पर हाथ रखा , माथा थोड़ा गर्म था । अलका एक अनजान खतरे से डर गई, अलका ने सारा को बेड पर लिटा दिया और सोचने लगी कि वह क्या करें । उसने जल्दी से कबर्ड खोलकर मास्क और ग्लव्स निकालें और पहन लिए फिर उसने दवाइयों का किट खोलकर कफ सिरप और बुखार की गोली निकाली । सारा को फिर खांसी आ रही थी, अलका दौड़कर किचन में गई और एक गिलास पानी लाई और बोली “लो बेटा यह दवाई पी लो सब ठीक हो जाएगा।”

सारा ने मम्मी को परेशान देखा तो वह बोली- “मम्मा मुझे कुछ नहीं हुआ है।”

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अलका ने सारा को एक रुमाल देते हुए कहा- “लो बेटा इसे लगा लेना और आंख बंद करके थोड़ी देर सोने की कोशिश करो। बिल्कुल ठीक हो जाओगी।”

अलका भगवान के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई- “भगवान हमने कोई बुरे कर्म नहीं किए हैं, सारा को कोई तकलीफ मत देना।” अलका कमरे में ही दो मीटर की दूरी पर कुर्सी डाल कर बैठ गई, लेकिन उसका ध्यान लगातार सारा की ओर ही था। सारा सोने का प्रयास कर रही थी और यदा-कदा खाँस भी रही थी। करीब आधा घंटे के बाद सारा खांसते हुए उठी और गले को दबाने लगी ।अलका तुरंत आई और बोली- ” क्या हुआ बेटा क्या गले में दर्द हो रहा है।”

“नहीं मम्मा कुछ नहीं हुआ, गले में हल्का सा दर्द है, आप मत घबराओ” सारा ने तसल्ली देते हुए कहा ।

अलका ने सारा का टेंपरेचर लिया ।टेंपरेचर 100 के करीब था । अलका ने सोसायटी के डॉक्टर को फोन किया तो पता चला वह क्लीनिक गए हुए हैं । अलका कोरोना के सिम्टम्स से अलका के सिम्टम्स को मिला रही थी ।उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था। जीवन के एकांत को वह बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी । काश राजेश होता तो शायद ऐसा ना होता।

शाम तक सारा की तबीयत और खराब होने लगी । सारा अचानक उठ कर बैठ गई और बोली- “मम्मा पापा बहुत अच्छे हैं। उनसे दोस्ती कर लो। उन्हें बुला लो वह सब ठीक कर देंगे ।प्लीज ममा मेरी बात मान जाओ। मुझे शायद कोरोना ही हो गया है।”

अलका और डर गई और घबरा कर बोली- “सारा लगा अपने पापा को फोन और बुला ले उन्हें।”

“मम्मा आप दोनों  की लड़ाई तो नहीं होगी।”

“लड़ाई नहीं होगी बेटा तू पापा से बात तो कर, कहना जल्दी आ जाए” अलका ने राजेश को फोन मिलाते हुए कहा । अलका को इस समय ममता के सिवा कुछ नहीं सूझ रहा था, उसे डर था कि कहीं सारा कोरोना का शिकार तो नहीं हो गई है।

अलका ने वीडियो कॉल लगा कर सारा को मोबाइल दीया। सारा को स्क्रीन पर देख कर राजेश ने कहा “क्या हुआ बेटा, सब ठीक है ना, मैं हॉस्पिटल में हूं शाम को तुमसे बात करता हूं ।”

अलका ने सारा के हाथ से मोबाइल ले लिया और भरे गले से कहा – “कुछ ठीक नहीं है राजेश तुम जल्दी आ जाओ, सारा को खांसी आ रही है, और उसे बुखार भी है, गले में भी दर्द बता रही है।”

अलका इस समय अपने और राजेश के बीच में हुए सारे विवादों और झगड़ों को भूल चुकी थी । उसे केवल सारा की फिक्र थी

राजेश भी थोड़ा घबरा गया, बोला “अलका मोबाइल लेकर दूसरे कमरे में आओ।”

राजेश ने आवश्यक सामान एक बैग में रखने को कहा और बताया कि वह एंबुलेंस लेकर फौरन सोसाइटी पहुंच रहा है ।

कुछ ही देर में राजेश एंबुलेंस लेकर सोसाइटी पहुंच गया। अगर कोई भी व्यक्ति जो करोना से संक्रमित होता था और हॉस्पिटल जाता था तो उसे देखने सोसाइटी के लोग बाहर आ जाते थे, कुछ लोग बालकनी से झांकने लगते थे और आज तो उनकी प्यारी एंजेल जा रही थी । सोसायटी के अधिकांश लोग गेट पर आ गए थे । सारा के मम्मी पापा के चेहरे पर तो दुख देखा जा सकता था, लेकिन सारा पूरी तरह से खुश दिखाई देने का प्रयास कर रही थी| उसने सभी से कहा- “अंकल आंटी पहले तो आप लोग थोड़ा दूर हो जाइए और यह भी जान ले कि मुझे कोरोना वरोना कुछ नहीं हुआ है । मैं बहुत जल्दी ठीक होकर आप लोगों के बीच आऊंगी, आप सभी से ढेर सारी गप्पे लडाऊंगी, और आप लोगों को खूब  परेशान करूंगी ।”

सारा थोड़ी देर तक अपने साथी बच्चों से बात करती रही लेकिन आवश्यक दूरी बनाए रखी।

जब हॉस्पिटल का गेट दिखाई देने लगा तो नन्ही सारा रोने लगी और रोते-रोते बोली- “मम्मी पापा मेरी एक बात मानोगे, कभी एक दूसरे से अलग मत होना ।एक साथ रहना, झगड़ना नहीं, नहीं तो मैं तारा बन जाऊंगी और कभी नहीं आऊंगी, प्लीज दोस्ती कर लीजिए,आप लोगों को मेरी कसम है।”

“मत कर ऐसी बातें बेटा, तू जैसा कहेगी हम वैसा ही करेंगे । कभी अलग नहीं होंगे और तू बड़ी जल्दी ठीक होकर आ जाएगी , तुझे कुछ नहीं हुआ है” अलका ने बुरी तरह से रोते हुए कहा।

सारा का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया। सारा को एक बड़े से हॉल में बैठाया गया, जहां 5 और करोना के मरीज़ थे जिसमें से एक बच्चा, जॉर्ज, सारा से भी छोटा था। सारा एक बेड एलौट कर दिया। सारा ने सबको हेलो किया और कहां- “मेरे पापा बहुत अच्छे डॉक्टर है, वह हम सब को ठीक कर देंगे ।आप लोग घबराना मत।”

सारा के पापा ने सिर पर हाथ फिराते हुए कहा- “दैट्स लाइक ए गुड गर्ल , मैं वादा करता हूं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा, तुम बहुत जल्दी ठीक होकर मेरे साथ सोसाइटी चलोगी।”

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अलका ने राजेश से कहा- “क्या सारा को सेपरेट रूम नहीं मिल सकता था।

राजेश ने अलका को बाहर ले जा कर दिखाया- “देखो कितनी बुरी हालत है, रोगी बाहर तक लेटे हुए है, रोगियों को वेंटिलेटर तो क्या ऑक्सीजन सिलेंडर तक नहीं मिल रहे हैं, वह तो सारा मेरी वजह से बेड मिल गया, अब तुम वापस सोसाइटी चली जाओ ।समय-समय पर सारा के बारे में सूचित करता रहूंगा, और यह मैं तुमसे वादा करता हूं अपना पूरा कौशल सारा को ठीक करने में लगा दूंगा, हर हाल में सारा को हंसता खेलता तुम्हें वापस करूंगा।”

“मुझसे यह सब नहीं देखा जाता राजेश। यह देख कर तो लगता है कि इंसान के जान की कोई कीमत ही नहीं है। जिंदगी मे दो पल का भी भरोसा नहीं है । हमसे समझदार तो शायद सारा है जिसने जान लिया है कि जिंदगी दोबारा नहीं मिलती, जिंदगी में जो चार पल मिले हैं उन्हें हंसते खेलते बिताना चाहिए| मैं ठीक कह रही हूं ना राजेश।”

“हां मैडम ! क्या आप कभी गलत कह सकती हैं? चलिए अब दार्शनिक मत बनिए, मैं आपको घर छोड़ देता हूं” राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा।

थोड़ी देर बाद जब राजेश अलका को छोड़कर आया तो उसने नर्स से पूछा- “सब ठीक है सिस्टर ? सारा रो तो नहीं रही थी।“

“अरे सर क्या बच्ची है आपकी, जैसे ही उसका बुखार उतरा है ,उसने पूरे कमरे का चार्ज ले लिया है। सबको तसल्ली देती घूम रही है । 4 नंबर बेड वाले को ठीक से सांस नहीं आ रहा था, सारा दौड़कर बाहर आई और हमसे कहा 4 नंबर वाले अंकल को ऑक्सीजन लगा दीजिए। बहुत आत्मविश्वास से भरी हुई है आपकी बेटी, बहुत विश्वास करती है आप पर, कह रही है पापा उसे और सबको निश्चित ही ठीक कर देंगे इसलिए वह अपनी चिंता छोड़ बैठी है” नर्स ने उत्साहित होकर बताया।

“अपनी मेहनत में तो मैं कोई कमी नहीं छोड़ता सिस्टर, बाकी सब गॉड्स विल है।”

अगले दिन से सारा को जैसा जैसा डॉक्टर्स ने बताया था- गरम पानी पीना, गार्गिल करना- वैसा ही उसने करना शुरू कर दिया और बाकी लोगों से भी कहा आप लोग भी ऐसा ही कीजिए। जॉर्ज नहीं कर रहा था तो उसको बोली- “क्यों तुम्हें ठीक नहीं होना क्या, चलो तुम भी चुपचाप वैसे ही करो जैसा हम लोग कर रहे हैं।”

डॉ राजेश ने आकर सब से पूछा “सारा आप लोग को तंग तो नहीं कर रही?”

सबने एक स्वर से कहा- “बिल्कुल नहीं ।बहुत प्यारी बच्ची है, इसने तो हम लोगों में नया जोश भर दिया है। अब हमें कोई चिंता नहीं है डॉक्टर सारा ही हमें ठीक कर देगी।”

राजेश हल्का सा मुस्कुराया और सब का टेंपरेचर चैक करने लगा।

दो-तीन दिन में उस रूम में बहुत कुछ बदल गया था । मरीजों में एक नया उत्साह भर गया था। अब सब मानसिक रूप से स्वस्थ होने लगे थे। परिणाम स्वरूप 80 साल के पैट्रिक की रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आई। हॉस्पिटल के लिए यह एक मील का पत्थर था । 80 वर्ष के पैट्रिक कोरोना को हराकर डिस्चार्ज हो रहे थे। उन्होंने इसका पूरा क्रेडिट डॉक्टर्स नर्सेज और नन्ही सारा को दिया। जाते समय उन्होंने सारा से कहा-  “बहुत-बहुत धन्यवाद बेटा, तुम्हें भगवान बहुत लंबी उम्र दे, अब तुम मेरी फ्रेंड बन गई हो, जब ठीक हो जाओगी तो मैं तुम्हारे साथ खेलना पसंद करूंगा।”

हालांकि सारा को स्पेनिश नहीं आती थी लेकिन चेहरे की भाषा से उसने सब कुछ समझ लिया ।उसने पैट्रिक अंकल को खड़े होकर नमस्ते की और कहा “आल द बेस्ट।”

जल्दी ही सारा की प्रसिद्धि पूरे हॉस्पिटल में फैल गई । अब हर कोई सारा को देखना चाहता था। डॉ राजेश ने सारा को छोटी सेफ्टी किट पहनाकर हर कमरे में घुमाया । सारा ने एक छोटी डॉक्टर के रूप में हर कमरे में जाकर मरीजों को नमस्ते की और सबसे कहा- “आप सब लोग ठीक हो जाएंगे, बस आप लोग डॉक्टर जैसा बताते हैं वैसा वैसा करते रहें।”

सारा पर कोरोना का असर होने लगा था । उसे ज्यादा खांसी, गले में दर्द और सांस लेने में कठिनाई होने लगी थी।

एक रोज सारा का बुखार 1030C तक पहुंच गया। संयोग से उस दिन बहुत तेज आंधी और चक्रवात भी आ रहा था। राजेश ने अलका को फोन पर सारी स्थिति बताई और उससे प्रार्थना करने को कहा। राजेश बोला- “सारा के लिए आज की रात क़यामत की रात है। मैं अपना पूरा प्रयास कर रहा हूं और सुबह तक सारा के पास ही बैठूंगा, अब मुझे फोन मत करना, केवल सारा के लिए प्रार्थना करना।”

पूरी रात सेफ्टी किट पहने राजेश सारा के आसपास ही रहा, कभी दूसरे वार्ड में चला जाता फिर तेजी से वापस सारा के पास आ जाता।

सिस्टर ने कहा “सर सारा को इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट कर दीजिए।”

“सिस्टर सारा को टेंपरेचर बहुत है। दो पेरासिटामोल ले आओ, अगर उससे कुछ नहीं हुआ तो देखेंगे” राजेश ने कहा।

सारा ने पापा की तरफ कनखियों से देखा और कुछ होंठ हिलाए। लगा की कह रही है- “पापा जाओ आप सो जाओ, मैं ठीक हूं।”

सारा की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था । राजेश अपनी बेबसी पर अपने आप को बहुत लाचार महसूस कर रहा था । खासते – खासते सारा का चेहरा लाल हो गया था। ऑक्सीजन सिलेंडर के बाद भी सारा बड़ी कठिनाई से सांस ले पा रही थी। राजेश ने और डॉक्टरों को भी बुला लिया। सभी ने एक राय होकर कहा “सारा की हालत बहुत नाज़ुक है, इसको तुरंत आई सी यू मैं भर्ती करो, वेंटीलेटर लगा दो।“

सारा को तुरंत शिफ्ट किया जाने लगा। सभी मरीजों के लबों पर प्रार्थना थी। सारा इस स्थिति में भी हल्का-हल्का मुस्कुरा रही थी और अपने हाथ से सभी को बाय-बाय कर रही  थी ।

सारा को वेंटिलेटर लगाया जाने लगा | सारा ने पापा का हाथ पकड़ रखा था और उन्हें उठने नहीं दे रही थी। वेंटिलेटर लगने से पहले उसने पूरी हिम्मत करके अस्पष्ट शब्दों में कहां “आई लव यू पापा ममा| अब शायद मैं ना बचू ,मेरी याद में रोना मत, मेरी कसम याद है ना आप दोनों को, कभी अलग मत होना सदा साथ रहना, जब आप लोग लडते थे या अलग अलग रहते थे तो मैं छुप कर बहुत रोती थी।“

“मत कर बेटा ऐसी बातें, तू ठीक हो जाएगी” राजेश ने अपना मुंह फेर लिया, शायद अपने आंसू सारा को दिखाकर उसे कमजोर नहीं करना चाहता था | उसने रूधे स्वर में अन्य डॉक्टरों से कहा “प्लीज जल्दी कीजिए, लाइफ सपोर्ट सिस्टम चालू कीजिए।“

लाइफ सपोर्ट सिस्टम चालू होते ही सारा को हल्का हल्का सांस आने लगा।

राजेश रात भर वैसे ही बैठा रहा | रात में कब उसे नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला | देर रात उसकी नींद सारा की आवाज से खुली, उसने मधम स्वर में कहा “पापा आप सोये नहीं,  जाइए आप आराम कर लीजिए, मैं अब  ठीक हूं |”

उस रात के बाद जैसे चमत्कार होता चला गया , धीरे-धीरे सारा ठीक होने लगी, लगा कि उसने कोरोना से लड़ाई जीत ली है । वह फिर से दूसरे वार्ड्स का चक्कर लगाने लगी और दूसरे पेशेंट्स को प्रोत्साहित करने लगी ।

राजेश ने सारा का कोरोना टेस्ट किया जिसका परिणाम नेगेटिव आया। राजेश की खुशी का ठिकाना न था। उसने तुरंत अलका को फोन किया और बताया कि सारा का टेस्ट नेगेटिव आया है, पर अभी उसका एक टेस्ट और करेंगे वह भी अगर नेगेटिव आया तो सारा को बिल्कुल ठीक घोषित कर सकते हैं।

सारा का दूसरा टेस्ट भी नेगेटिव आया और डॉक्टर राजेश व अन्य ने उसे रोग मुक्त घोषित कर दिया। डिस्चार्ज होते समय उसने दूसरे पेशेंट से कहा- “जब तक आप सब लोग ठीक नहीं हो जाएंगे तब तक मैं रोज अपने पापा के साथ आया करूंगी।”

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पेशेंट्स और अन्य स्टाफ ने सारा से पूछा-  “हमें एक बात बताती जाओ । तुम पहले दिन से ही कह रही थी कि तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगी , तुम ऐसा कैसे कह रही थी।”

सारा ने जवाब दिया- “क्योंकि मेरे डॉक्टर मेरे पापा थे और मुझे अपने पापा पर पूरा विश्वास था और है, कि वह मुझे ठीक कर देंगे, कुछ नहीं होने देंगे। आप लोगो के साथ भी ऐसा ही होगा। पापा सब को ठीक कर देंगे”

शायद अपने मां-बाप के ऊपर भगवान जैसे विश्वास ने सारा को ठीक कर दिया था ।

सोसाइटी में भी सभी लोगों ने सारा का भव्य स्वागत स्वागत किया । उस पर फूल बरसाए और देर तक इस कोरोना वारियर के लिए तालियां बजाई।

डॉ राजेश ने सारा और अलका को फ्लैट मेंछोड़कर एक कप चाय पी, सारा ने गौर किया की अलका और राजेश आपस में बात नहीं कर रहे थे, उसे राजेश का सूटकेस भी नजर नहीं आ रहा था।

सारा ने दोनों से पूछा “क्या बात है | आप दोनों बातचीत नहीं कर रहे, और ना ही पापा आपका सूटकेस दिखाई दे रहा है, क्या आप लोगों ने अभी तक दोस्ती नहीं की है ।मेरी कसम की भी परवाह भी नहीं की।“

“बेटा अभी तुम छोटी हो | इन बातों के बारे में मत सोचो | जैसा चल रहा है वैसा ही चलने दो ।मुझे अब हॉस्पिटल जाना है दो-तीन दिन में आकर तुमसे मिलूंगा” राजेश ने समझाते हुए कहा।

“पापा आप लोग बहुत बुरे हो | मैं आप दोनों से कभी बात नहीं करूंगी , काश मैं कोरोना से मर जाती“ सारा ने रोते हुए कहा।

राजेश और अलका ने हंसते हुए सारा को गोदी में उठा लिया “जरा सी बात पर नाराज हो गई हमारी एंजेल, ऐसा कभी हो सकता है की हमारी सारा हमसे इतनी छोटी सी बात चाहे और हम उसे पूरा ना  कर पाए । देखो वह है पापा का सूटकेस | हम तो अपनी सारा से छोटा सा मजाक कर रहे थे।

सारा को बहुत खुशी हुई और वह बोली “आप दोनों वर्ल्ड के बेस्ट मम्मी डैडी हो।“

सारा ने अपना कहा निभाया और अपने पापा के साथ रोज अस्पताल जाने लगी | वह कोरोना से बीमार मरीजों के साथ बात करती और उनमें जीने के लिए नई आशा और उमंग भर्ती । अब हॉस्पिटल स्टाफ और बीमार लोग उसे कोरोना-वारियर कह कर संबोधित करने लगे।

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