एक समय की बात है धोलपुर नमक गाँव में राम और श्याम नाम के दो दोस्त रहते थे। दोनों की दोस्ती इतनी गहरी और पक्की थी कि पूरी गांव में दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी।उनमें कभी भी किसी बात को लेकर मनमुटाव नहीं होता था अगर कभी किसी बात को लेकर तकरार हो भी जाता तो वो दोनों आपस में उसे सुलझा लेते।दोनों साथ-साथ ही खाते,घूमते और काम पर जाते। एक दिन की बात है राम और श्याम के बेटे मैदान में खेल रहे थे कि खेल खेल में दोनों बच्चों की लड़ाई हो गई।
कुछ देर में बात इतनी बढ़ गई कि बात घर तक पहुंच गई। जो लड़ाई बच्चों के बीच शुरू हुई थी वो लड़ाई राम और श्याम के बीच जाकर और बढ़ गई। बहुत दिनों तक दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई।गाँव के कई सारे लोगों ने दोनों को समझने की कोशिश की मगर सब की कोशिश बेकार साबित हुई।दोनों के बीच बात ना होने से ऐसा लग रहा था मानो गांव की रौनक ही खत्म सी हो गई।
कुछ दिनों के बाद मामला राजदरबार तक पहुंच गया कि दोनों में से कौन सही है और कौन गलत। दोनों राजदरबार में उपस्थित हुए और अपनी अपनी बातों को रखा।अब सारा फैसला राजा के ऊपर निर्भर था चुकीं राजा दोनों के दोस्ती की किस्से से पहले से ही अवगत थे और वे नहीं चाहते थे कि इतनी छोटी सी बात पर दोनों दोस्तों की सालों पुरानी दोस्ती खत्म हो जाए ।
तो उन्होंने दोनों दोस्त को मिलाने के लिए एक तरकीब सोचा और कहा – इन दोनों को एक- एक टमाटर की टोकरी दिए जाए और दोनों को आदेश दिया जाता है कि यह टमाटर की टोकरी लेकर दस दिन बाद उपस्थित हो तभी हम कोई फैसला सुनाएंगे। राम और श्याम टोकरी लेकर घर की तरफ रवाना हुए। पहले कुछ दिनों तक तो टमाटर स्वस्थ थे परन्तु जैसे जैसे दिन बीतता गया वैसे वैसे टमाटर सड़ने लगे।
आलम यह हो गया कि सातवें आठवें दिन टमाटर से बहुत गंदी बदबू आने लगी जिसके कारण दोनों का घर में रहना मुश्किल हो गया था। उन्होंने बहुत कोशश की कि टमाटर न फेके , लेकिन बदबू इतनी अधिक आ रही थी कि उन्हें वो टमाटर फेकनी पड़ी। दस दिन बीत चुके थे और वे दोनों राजा के सामने उपस्थित हुए। राजा ने जब दोनों को बिना टोकरी के देखा तो उन्होंने दोनों से टमाटर की टोकरी ना लाने की वजह पूछी। उनकी बातों का जवाब देते हुए दोनों ने एक स्वर में कहा- महाराज हम तो चाहते थे कि हम वो टोकरी साथ लेकर आए परंतु उसमे से बदबू इतनी अधिक आने लगीं कि हमें उसे फेकना पड़ा।
दोनों की बातें सुनकर महाराज ने उत्तर दिया जिस तरह सड़े हुए टमाटर से सारा घर बदबूदार हो गया उसी प्रकार हमारे अंदर नफरत होने से हमारा मन और हृदय दोनों मैला हो जाता है।तो मैं दोनों से आग्रह करता हूं कि जिस प्रकार तुमने सड़े हुए टमाटर घर से फेंक दिया उसी प्रकार तुम दोनों एक दूसरे के प्रति उत्पन्न हुए नफरत की भावना को भी दिल से निकाल दो और वापस दोस्त बन जाओ। राजा की बात सुनकर दोनों को अपनी गलती समझ आ चुकी थी। अपनी गलती सुधारते हुए दोनों मित्र गले लग गए और राजा को धन्यवाद किया| तब से दोनों की मित्रता और गहरी हो गई|
सीख- हमारे दिल में किसी के खिलाफ नफरत की भावना नहीं होनी चाहिए। नफरत की भावना सिर्फ हमारे दिल को मैला करती है, इसलिए हमें नफरत को अपने दिल से जल्द से जल्द निकाल देना चाहिए।