बलरामपुर नामक गाँव में बलराम सिंह नाम का एक राजा रहता था| उम्र काफी होने के कारण वो राज- पाठ संभालने में असमर्थ हो गया था| और उपर से उसका कोई बेटा या उत्तराधिकारी भी नहीं था|
इसलिए वह अपने राज़्य के भविष्य को लेकर हमेशा चिंतित रहता था| इसी चिंता को दूर करने के लिए बलराम सिंह ने राज़्यसभा में मंत्री मंडल की बैठक बुलाई और राज़्यसभा को संबोधित करते हुए कहा कि एक राज्य कभी भी बिना राजा के सुरक्षित नहीं रह सकता और मेरी स्थिति ऐसी नहीं रही कि मैं आप सबको सुरक्षित रख सकूँ|
अतः मैं आप सभी मंत्रियों से अनुरोध करता हूँ कि आप सब आगे आये और अपनी- अपनी योग्यता साबित करे| अब सवाल उठा कि योग्यता साबित कैसे किया जाए| तभी राज़्यसभा में उपस्थित एक ज्ञानी विद्वान ने उपाय सुझाया कि क्यों न सारे मंत्री कुछ समय तक सारे काम आपस में बाँट ले और समय पूरी होने पर सबके काम का निरीक्षण कर राजा का चुनाव किया जाएगा| शेर सिंह जो राज़्य का सेनापति था, उसे राज़्य में नई सड़के बनवाने का काम दिया गया| विक्रम, जो राजा का सलाहकार था उसे गरीबों को राशन- पानी उपलब्ध कराने का काम दिया गया| राम सिंह जो सभा में महामंत्री के पद पर विराजमान था उसे प्रजा से कर इकट्ठे कराने को कहा गया| इसी तरह अन्य मंत्रियों में बचे सारे काम बाँट दिए गए|
कुछ दिन बाद राजा द्वारा दिया गया निधार्रित समय समाप्त हुआ| और राज़्यसभा का आयोजन किया गया| सभी प्रतियोगी ने अपने – अपने कार्य पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी के साथ पूरा किया था, सिर्फ राम सिंह को छोड़कर, उसने एक भी रूपये कर के रूप में इकट्ठे नहीं किया था| सभी ने अपने – अपने काम बहुत अच्छे ढंग से किया था, पर सबसे अच्छा काम किसने किया था, यह अब भी एक बड़ा सवाल था|
तब राज़्यसभा में उपस्थित ज्ञानी विद्वान ने कहा कि – महराज सभी ने सराहनीय कार्य किये है परन्तु जो काम राम सिंह ने किया वो उन सभी कार्यो से अधिक सराहनीय है| वहाँ उपस्थित सारे लोग ज्ञानी की बात सुनकर दंग रह गए| तभी महराज बलराम सिंह ने पूछा, हे ज्ञानी! राम सिंह ने तो अपना काम भी पूर्ण नहीं किया, तो उसका काम सराहनीय कैसे? इसका जवाब देते हुए ज्ञानी विद्वान ने कहा कि महराज आप तो जानते ही है कि इस साल इस राज्य में आए बाढ़ के कारण किसानों के सारे फसल बर्बाद हो गये, तो राम सिंह ने अपनी प्रजा की बुरी हालत देखकर उनके सारे कर माफ कर दिये|
हे राजन! एक सच्चा राजा वही होता है जो अपने से पहले अपनी प्रजा के बारे में सोचे| अतः मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि राम सिंह को नया राजा बनाया जाए | राज़्यसभा में बैठे सारे लोगों ने इस बात का समर्थन किया और सभी बातों को ध्यान में रखते हुए बलराम सिंह ने राम सिंह को राज़्य का नया राजा घोषित किया|
सीख- सच्चा राजा वही होता है जो अपने सुख से पहले प्रजा की सुख को देखे|