पुराने समय की बात है किसी राज्य में दो दोस्त रहते थें| वे बहुत ही निर्धन परिवार के थे| उनकी जीवन इतनी कठिन थी कि उनके पास जीवन-यापन करने के भी पैसे नहीं थे पर उन्हें अपनी किस्मत पर पूरा भरोसा था| उन्हें लगता था कि किसी दिन उन्हें कोई बड़ा खजाना मिलेगा और उनके रूठे किस्मत के द्वार भी खुल जायेंगे| अपनी किस्मत बदलने की इच्छा लिए हुए वे पास के एक ज्ञानी बाबा के पास गये और कहा कि – बाबा हम काफी गरीब है, कुछ ऐसा उपाय बताओ कि हमारी गरीबी खत्म हो जाए और हम एकदम से अमीर हो जाए| बाबा ने कहा कि – वत्स ये लो जादुई डंडे और पास के जंगल में एक जहरीला फलों का एक वृक्ष मिलेगा, जिसपर पीले रंग के चमकीले फल लदे होंगे| इस डंडे के सहारे वह फल तोड़ लेना और उसे खा लेना फिर तुम्हारे किस्मत के द्वार तुरंत खुल जाऐंगे| इसके साथ ही उन्होंने उन्हें चेताया भी कि पुत्र ज़्यादा लालसा ना करना, जो मिले उसमें खुश रहना|
अपनी किस्मत बदलने के सपने लेकर वो दोनों जंगल की तरफ बढ़ने लगे| कुछ दूर चलने के बाद उन्हें वो वक्ष मिला, जिसपर पीले रंग के चमकीले फल लदे हुए थे| पेड़ देखते हुए एक मित्र ने दुसरे मित्र से कहा- भाई, शीघ्र ही हमारे भाग्य पलटने को है| हम भी अब राजा – महाराजाओं की तरह शाही जीवन व्यतीत करेंगे| ये कहते हुए उस जादुई डंडे से एक मित्र ने वक्ष पर लदे एक फल को तोड़ दिया और उसे खा लिया| खाने के कुछ समय बाद पेड़ पर से कुछ सोने के मुद्रा गिरे| पहले मित्र ने उसे इकट्ठा करते हुए कहा कि इन मुद्राओं से खेती करूँगा और अपनी मेहनत से अमीर बनूंगा | यह देखते देखते
दूसरे मित्र ने भी डंडे से फल तोड़ा और उसे खा लिया| कुछ समय बाद वृक्ष पर से कुछ सोने की मुद्राएँ गिरी| और उस मुद्राओं को वो अपने पास रख लीया| परन्तु इतने से उसके मन की लालसा को संतुष्टि नहीं मिली| उसने मन ही मन सोचा कि अगर एक फल खाकर मैं इतना धन एकत्रित कर सकता हूँ मैं तो ऐसे कई फल खाने से कितना अमीर हो जाऊँगा| ऐसा सोचते हुए उसने एक और फल तोड़ दिया और खा लिया| पहले मित्र ने उसे समझाने की काफी कोशिश भी की परंतु भ्रष्ट हुए बुद्धि में बात कहाँ समझ आनी थी| वो जैसे जैसे फल तोड़ता और खाता, उसकी लालसा उतनी ही बढती गई| अंततः एक समय ऐसा आया कि उसने जादुई फल की जगह जहरीले फल खा लिय| जिसे खाने उपरांत कुछ समय बाद दम घुटने से उसकी मौत हो गई|
सीख- लालसा में उस बालक ने ना बाबा की चेतावनी का ध्यान दिया और ना ही दोस्त की विनती का| लालसा से उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी, जो उसकी मौत का एकमात्र कारण बनी| अंततः हमे ये सीख मिलती है कि हमें अपनी मेहनत पर ही विश्वास करना चाहिए, लालसा केवल हमें अपने अंत की तरफ ढकेलती है|