अक्सर हम अपनी नजदीक की चीजों को देख पाते हैं और उनके लिए सोचते हैं, लेकिन कौसो दूर हमारे देश की रक्षा के लिए कई जवान मौजूद है, जिसने पूरी जिंदगी हमारे देश की सेवा में समर्पित किया है| वे आतंकवाद से निपटने, देश की आपातकालीन स्थितियों से निपटने, बाढ़, भुकम्प जैसे प्रकॄति आपदाओं के बचाव के साथ साथ अन्य चीजों में लोगों की मदद करते हैं|कितनी भी मुस्किल परिस्थिति क्यों न हो वो हमारे लिए हर दश्मन से बिना अपने जान की परवाह किये लड़ाई लड़ने की हिम्मत रखते हैं, उन्हें हमारा सलाम|
कुछ पंक्तियों उनके लिए जो अपनी परिवार से दूर रहकर अपनी जान की परवाह किये बिना हमारे देश की रक्षा करते हैं और लड़ते-लड़ते देश के नाम शहीद हो जाते हैं|
तिरंगे से लिपटी लाश मे,
मुझे ढूंढने वाली हर आंसुओं की तलाश में,
जिंदा हूँ मैं, जिंदा रहूँगा मैं|
ममता की उजड़ी छाँव में,
पापा के ताजे अंदरूनी घाव में,
जिंदा हूँ मैं, जिंदा रहूँगा मैं|
अपनी पत्नी के टूटे सुहाग में,
लोगों के दिलों के भड़के आग में,
जिंदा हूँ मैं, जिंदा रहूँगा मैं|
अपने बच्चों की किलकारी में,
मेरे लाश से उठने वाली आग के हर एक चिंगारी में,
जिंदा हूँ मैं, जिंदा रहूँगा मैं|
राष्ट्रगान की धुन मे,
मेरे जिस्म से निकले हर कतरे खून में,
जिंदा हूँ मैं, जिंदा रहुंगा में|
हिन्दुस्तान के हर भोर में,
बंदुक से निकली गोलियों की शोर में,
जिंदा हूँ मैं, जिंदा रहूँगा मैं|
अपनो से बिछड़कर भी,
सौ बार मर के भी,
जिंदा हूँ मैं, जिंदा रहूँगा मैं|
Author: Sugandh Kumari | kumari.sugandh1996 at gmail.com