कहा जाता है कि लड़कियां मैथ्स में कमजोर होती हैं और इसलिए उन्हें अपने मन के सब्जेट नहीं पढ़ना चाहिए.
वहीं 10 दिसंबर 1815 में जन्मी एडा लवलेस ऐसी धारणाओं को तोड़ती हैं और लड़कियों को एक बेहतर मुकाम पाने की ओर अग्रसर करती हैं. उनका पूरा नाम आगस्ता एडा किंग-नोएल, लवलेस की काउन्टेस था मगर लोग उन्हें एडा लवलेस के नाम से जानते हैं.
मां के द्वारा ही हुई मैथ्स और साइंस से पहचान
वह कवि लॉर्ड बायरन और उनकी पत्नी ऐनी इसाबेला मिलबैंक बायरन की एकमात्र संतान थीं मगर मिलबैंक कुछ समय बाद अपने पति से अलग हो गयी थीं, जिसके बाद एडा ने कभी अपने पिता को नहीं देखा. एडा के पिता की मृत्यु तब हुई थी, जब वह 8 साल की थीं. यह एडा की मां का ही निणर्य था कि उनकी बेटी मैथ्स और साइंस पढ़े ताकि वह अपने पिता के तरह मूडी स्वभाव की ना बने, जिसके बाद ही उनके अंदर मैथ्स और साइंस सब्जेट के प्रति रुचि पैदा हुई. उनकी मां के अनुसार ऐसे सब्जेट को पढ़ने से एडा उनमें ही खोई रहतीं.
चार्ल्स बैबेज से हुई मुलाकात
19वीं सदी की एडा एक अंग्रेज गणितज्ञ और लेखिका थीं, जिन्हें पहला कंप्युटर प्रोग्रामर माना जाता है. उन्हें बचपन से ही मैथ्स और साइंस में गहन रुचि थी. 17 वर्ष की उम्र में जब उनकी मुलाकात चार्ल्स बैबेज से हुई, उसके बाद ही उनके कदम आगे बढ़ने लगे.
उन्होंने चार्ल्स बैबेज द्वारा प्रस्तावित यांत्रिक जनरल-परपस कंप्युटर (एनालिटिकल इंजन) पर कार्य किया और सबसे पहले यह समझा कि यह मशीन ‘शुद्ध गणना’ के साथ-साथ बहुत कुछ कर सकती है, जिसके बाद उन्होंने इस प्रकार की मशीन पर चलने वाले अल्गोरिद्म का भी निर्माण किया. उनकी गिनती विज्ञान के इतिहास में उन हस्तियों में होती है, जिनके काम को मरणोपरांत सराहा गया था.
पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में किया काम
उन्होंने ऐसी अवधि में काम किया जब मैथ्स और साइंस के फिल्ड में पुरुषों का वर्चस्व माना जाता था. हालांकि हालात आज भी ज्यादा नहीं बदले हैं मगर उस वक्त इन सब्जेट्स को पढ़ना और इनमें आगे बढ़ना वाकई उनकी हिम्मत को दर्शाता है. उनके पास कंप्यूटर की क्षमता में एक अद्वितीय और दूरदर्शी अंतर्दृष्टि भी थी, जिसने उन्हें कंप्युटर के क्षेत्र में भी आगे बढ़ाया. 1828 में वह स्टीम इंजन से चलने वाले फ्लाइिंग मशीन को चलता देखकर यह सोचा करती थीं कि आखिर यह कैसे चलता है और वह स्वयं भी घंटों बैठकर उस इंजन को बनाने की कोशिश किया करती थीं.
बनीं एर्ल ऑफ लवलेस
एडा ने अपने मां के कहे अनुसार 1835 में विलियम किंग से शादी की थी, जिसके तीन साल बाद वह एर्ल ऑफ लवलेस की उपाधि से नवाजी गयीं. इस कप्ल ने सामाजिक कार्य भी किये, जिनमें माइकल फाराडे और चालर्स डिकेन का भी साथ मिला.
मध्य 1950 तक एडा के कार्यों (कंप्युटर साइंस के फिल्ड) के बारे में कोई नहीं जानता था मगर बी.वी बाउडेन द्वारा दोबारा प्रकाशित हुए नोट्स “Faster Than Thought: A Symposium on Digital Computing Machines in 1953” से एडा के कार्यों के बारे में पता चला.
एडा आज के समय में लड़कियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं इसलिए हर लड़की को स्वयं पर विश्वास रखकर आगे बढ़ना चाहिए. 27 नवंबर 1852 को लंदन में उनकी मृत्यु युटरिन कैंसर से हुई.
Author: Saumya Jyotsna : saumyajyotsna at gmail.com